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डिजिटल लेन-देन से बढ़ती आत्मनिर्भरता

आज भारत के रूपे कार्ड को विश्व भर में गौरव और सम्मान के साथ अपनाया जा रहा है। भारत द्वारा सृजित यूपीआई तथा आईएमपीएस को वित्तीय स्थानांतरण का सबसे उन्नत तकनीक माना जा रहा है। — विकास सिन्हा 

 

किसी ने ठीक ही कहा है कि सही दिशा में लिए गए छोटे-छोटे कदम आपके जीवन के सबसे बड़े कदम बन सकते हैं। किसे मालूम था कि मार्च 2012 में प्रक्षेपित रूपे-कार्ड भारत में आने वाली अंकीय क्रांति का उद्घोष साबित होगी। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं के विस्तार के लिए लिया गया यह कदम आने वाले सालों में मिल का पत्थर साबित होगा, जिसे हटाने के लिए विकसित देशों को एकजूट होना पड़ रहा है।

इसकी सफलता ने भारत में अंकीय लेन-देन के नए तरीकों का अविष्कार कर दिया और आज हम भारत में यूपीआई, आईएमपीएस, क्यूआर कोड़ जैसे शीघ्रतम व्यवस्थाओं से क्षण मात्र में पैसे का आदान-प्रदान कर सकते है।

अंकीय लेन-देन का अभिरूप क्या है

कोई भी अंतरण विधि जिससे मूल्यों का आदान प्रदान एक भुगतान खाता से दुसरे भुगतान खाते में हो जाए, जिसमें अंकीय प्रणाली का इस्तेमाल हो, जैसे यूपीआई, आरटीजीएस, एनईएफटी, आईएमपीएस, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड इत्यादि।

अंकीय लेन-देन के फायदे

  • अंकीय भंडारण की लागत बहुत कम होती है, जबकि भौतिक मुद्रा के परिचालन में काफी खर्च होता है। 
  • अंकीय लेन-देन में टूट-फूट का खर्च नहीं होता है, जो कि भौतिक मुद्रा में लगता है।
  • अंकीय लेन-देन में फर्ज़ी मुद्रा के परिचालन की संभावना समाप्त हो जाती है।
  • अंकीय लेन-देन में व्यक्ति अपने घर बैठे दूर-दराज स्थान से वित्तीय सेवाएं प्राप्त कर सकता है, वो भी न्यूनतम मूल्य पर।
  • अंकीय लेन-देन में यह पहचान कर पाना आसान है कि मूल्य का सही लाभार्थी कौन है और इस तरह हम काला धन को समाप्त कर सकते है।

भारत में अंकीय लेन-देन की सफल गाथा

बीते आर्थिक वर्ष में हमारे देश ने 7422 करोड़ अंकीय लेन-देन दर्ज किया गया, जो कि 33 प्रतिशत वृद्धि का संकेत देता है तथा पूरे विश्व में सबसे अधिक है। ये अपने आपमें एक मिसाल है और सूचित करता है कि जब हमने एक बार ठान लिया तो हमसे आगे कोई नहीं हो सकता है।

एसीआई वर्ल्डवाईड के मार्च 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत अंकीय लेन-देन में 2019 से विश्व में सबसे अग्रणी देश है तथा वास्तविक समय लेन-देन (रियल टाईम ट्रांजेक्शन) में हम चीन तथा दक्षिण कोरिया जैसे देशों को पछाड़ते हुए प्रथम स्थान पर है। 

पिछले साल के मुक़ाबले इस साल यूपीआई लेन देन में संख्या तथा मात्रा में 100 प्रतिशत की वृद्धि पायी गयी है।

भारत में आधारित तथा भारत में विकसित रूपे कार्ड 62 करोड़ से अधिक लोगों को प्रचालित किया जा चुका है और आज डेबिट तथा क्रेडिट कार्ड के क्षेत्र में भारत में इसकी मार्किट हिस्सेदारी 60 फीसदी से अधिक है। 

यूपीआई (यूनिक पेयमेंट इंटरफेस) लोगां के लिए लेन-देन की पहली पसंद बन गया है, बीते मई माह में  लोगो ने यूपीआई का प्रयोग करके 10 लाख करोड़ रूपए से अधिक का लेन-देन कर एक नया कीर्तिमान बना दिया। 

आज ग्रामीण इलाकों में लोग आधार कार्ड को अपने बैंक खाते से लिंक करके एईपीएस लेन-देन कर रहे है।

कुछ रोचक तथ्य

  • कोरोना महामारी के बाद लोगों में अंकीय लेन-देन की प्रवृति बढ़ती दिखी है, पहले जहां मुख्यतः नौजवान इस माध्यम का इस्तेमाल करते थे। महामारी के बाद अधेड़ अवस्था तथा कुछ हद तक वृद्धावस्था वाले लोगों ने इसको प्रयोग में लाना शुरू किया।
  • सर्वे के अनुसार यह पाया गया है की सामजिक सुरक्षा के अंतर्गत अंकीय रूप से प्राप्त हुए मूल्य का  इस्तेमाल लाभार्थी  भी अंकीय लेन देन से ही करते है
  • अंकीय लेन देन का सबसे अधिक इस्तेमाल शॉपिंग के लिए किया जाता है।
  • 50 प्रतिशत से अधिक व्यस्क लोग अंगीय लेन-देन के आने से अब मात्र 30 दिनों में आसानी से ऋण पा सकने में सक्षम है।
  • आज 100 करोड़ से अधिक डेबिट और क्रेडिट कार्ड प्रचलन में है, जिसमें 93 प्रतिशत हिस्सा एटीएम कार्ड का है। हालांकि औसत टिकट आकार क्रेडिट कार्ड का डेबिट कार्ड के मुक़ाबले तीन गुना है।

अंकीय लेन-देन के दुष्प्रभाव

यद्यपि अंकीय लेन-देन के फायदे बहुत है, परन्तु इसके कुछ दुष्प्रभाव भी है।

आइडेंटिटी थेफ्टः यानी पहचान की चोरी किसी अन्य व्यक्ति की व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी प्राप्त करने का अपराध है, जिससे कि अवैध लेनदेन या खरीदारी जैसे अपराध किए जा सकें।

अभिगम्यताः भारत जैसे विकासशील देश में जहां आधी आबादी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में वास करती है और गावों में आधारभूत संरचना मौजूद नहीं है, वहाँ अंकीय लेनदेन, जिसमें दूरसंचार का इस्तेमाल होता है, लोगों तक मुहैया कराना काफी मुश्किल कार्य है।

व्यक्तिगत संबंध का अभावः अंकीय लेनदेन संचार पर आधारित है, जिसमें भौतिक तौर पर मनुष्य की जरूरत नहीं होती है और इससे व्यग्तिगत संबध का अभाव होता है और इससे समस्याओं के समाधान में देरी होती है।

सुझाव

  • अंकीय लेनदेन जिस रफ़्तार से बढ़ रही है, उन पर लगने वाले नियम कानून में भी उतनी ही तेजी से बदलाव करना होगा। समय-समय पर उनकी समीक्षा करनी पड़ेगी।
  • अंकीय लेनदेन में बढ़ते हुए धोखाधड़ी की वारदातों को देखते हुए सरकार को तथा नियामक संस्थाओं द्वारा लोगों में जागरूकता लाने की भरसक कोशिश करनी चाहिए। 
  • अंकीय लेनदेन में आने वाले खर्चे को न्यूनतन स्तर पर लाने का प्रयास करना चाहिए। जिससे कि ये सेवाएं ग्रामीण एवं सुदूर इलाकों तक आसानी से पहुंचायी जा सके।

अंतिम लेकिन समाप्ति नहीं

भारत ने जिस तरह अंकीय लेनदेन में अपनी आत्मनिर्भरता साबित की है, उससे पूरी दुनिया अचम्भे में है, इतने कम लागत में इतनी उन्नत अंकीय वित्तीय सेवाओं को प्रदान कर पाना पूरे दुनिया को एक सबक देता है कि हम भारतीय किसी से कम नहीं है। 

आज भारत के रूपे कार्ड को विश्व भर में गौरव और सम्मान के साथ अपनाया जा रहा है। भारत द्वारा सृजित यूपीआई तथा आईएमपीएस को वित्तीय स्थानांतरण का सबसे उन्नत तकनीक माना जा रहा है। 

इस भारतीय प्रणाली की सफलता को देखकर इसे न केवल देश के भीतर बल्कि अंतर्देशीय मूल्य स्थानांतरण में भी इस्तेमाल करने की कोशिश की जा रही है। भारत, सिंगापुर तथा कुछ अन्य राष्ट्रों के सहयोग से इस पर शोध कर रहा है और किसे पता हम स्विफ्ट जैसे एकान्तर अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय लेनदेन प्रणाली का प्रारूप बनकर सामने आएं।  आत्मनिर्भरता सर्वांगीण सफलता प्राप्ति का महामंत्र है।            ु

विकास सिन्हा, वसंत कुंज, नई दिल्ली

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