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14वां राष्ट्रीय सम्मेलन (डिजिटल) (दिसंबर 12-13, 2020, नई दिल्ली)

14वां राष्ट्रीय सम्मेलन (डिजिटल) व श्रद्धेय दत्तोपंत ठेंगड़ी जन्मशताब्दी वर्ष समारोप

(दिसंबर 12-13, 2020, नई दिल्ली)


स्वदेशी जागरण मंच का राष्ट्रीय सम्मेलन एवं ठेंगड़ी जन्मशताब्दी समारोप कार्यक्रम 12-13 दिसंबर, 2020 में दिल्ली के आर.के.पुरम स्थित कार्यालय में संपन्न हुआ। बैठक का प्रारंभ राष्ट्रीय संयोजक श्री आर. सुन्दरम (सी.ए.) द्वारा सभी का स्वागत कर किया गया। श्री भोलानाथ विज (सचांलक चौपाल, लघुवित वितरण व पूर्व कोष प्रमुख, स्वदेशी जागरण मंच) को श्रद्धांजली दी गई। श्री आर. सुन्दरम ने अर्थ एवं रोजगार सृजक कार्यक्रम, हस्ताक्षर अभियान एवं ठेंगड़ी जन्मशताब्दी कार्यक्रम की चर्चा की।

सत्र-1 (दिनांक 12 दिसंबर, 2020 (09.30 से 10.45))

बैठक के प्रथम सत्र की शुरुआत अखिल भारतीय अधिकारियों एवं अन्य सहभागियों के परिचय के साथ हुई। बैठक में 51 कार्यकर्ताओं की सहभागिता अपेक्षित थी। कोरोना के कारण 29 ही उपस्थित हो सके। इस सत्र में पूर्वी क्षेत्र का वृत श्री अन्नदाशंकर पाणीग्रही ने रखा, जबकि राजस्थान क्षेत्र का वृत डॉ. धर्मेन्द्र दुबे ने रखा। 

सत्र-2 (11.00 से 01.00)

श्री सतीश कुमार (अ.भा. सह-संगठक) ने हरिद्वार राष्ट्रीय सम्मेलन से अब तक की गतिविधियों की संक्षेप में जानकारी दी तथा बताया कि कोविड-19 से निपटने हेतु कुरुक्षेत्र स्थित आयुष विश्वविद्यालय के सहयोग से स्वास्थ्य रक्षा अभियान की रणनीति तैयार की गई तथा सफलतापूर्वक लोगों में प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने हेतु विस्तृत अभियान चलाया गया। 20 अप्रैल, 2019 से स्वदेशी स्वावलंबन अभियान, जिसका उद्देश्य अधिकतम रोजगार सृजन करने का है, को चलाया गया। श्री सतीश कुमारी द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘स्वदेशी स्वावलम्बन की ओर भारत’’ के लोकार्पण कार्यक्रम भी देश भर में हुए। 25 अप्रैल, 2019 से स्वदेशी हस्ताक्षर अभियान 715 जिलों व 15 अन्य देशों में चलाया गया। जिसमें 14 लाख से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किये। साथ ही इसमें 48 हजार वॉलिंटियर ने भी मंच के साथ मिलकर काम करने की सहमति दी। 9 अगस्त से ‘चीनी कंपनियों के भारत छोड़ो’ कार्यक्रम को सफलतापूर्वक चलाया गया। सरकारी क्षेत्रों में इसका प्रभाव हुआ तथा चीनी एप्स एवं ठेके रदद् किये गये। इसी प्रकार अर्थ एवं रोजगार सृजक कार्यक्रम के अंतर्गत 285 जिलों में 385 स्थानों पर कार्यक्रम हुये, जिसमें 2785 उद्यमियों को सम्मानित किया गया। दिल्ली में स्वदेशी थिंक टैंक (सी.ई.पी.आर.) का गठन किया गया, जिसके कार्यक्रमों में 40 से अधिक कुलपति एवं विषेशज्ञों, जैसे- डॉ. राजीव कुमार, उपाध्यक्ष निति आयोग, प्रो. वैधनाथन, प्रो. वी.के. मल्होत्रा (आई.सी.एस.एस.आर.) भी शामिल हुए। साथ ही जीडीपी से रोजगार आधारित विकास धारणा में परिवर्तन हेतु भी सफल आंदोलन चलाया गया। दत्तोपंत ठेंगड़ी जन्मशताब्दी समापन कार्यक्रम 5 हजार से अधिक स्थानों पर देश भर में लाखों लोगों की सहभागिता से संपन्न हुए।

डॉ. अश्वनी महाजन (राष्ट्रीय सह-संयोजक) ने आत्मनिर्भर भारत एवं दो पारित प्रस्तावों (1. किसानों को लाभकारी मूल्य, 2. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नियमों में बदलाव द्वारा बहुराष्ट्रीय कंपनियों की खुदरा व्यापार में प्रवेश पर रोक विषयों) को सबके सामने रखा।

श्री वी. भागैय्या जी (सह सरकार्यवाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने स्वदेशी जागरण मंच में जुड़े सभी कार्यकर्ताओं को कोरोना काल में भी संगठन को बढ़ाने, इसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए बधाई दी। आपने कहा कि विश्व को भारतीय चिंतन पर चलाने हेतु हमें लंबा कार्य करना है तथा अर्थसृजकों एवं रोजगार सृजकों को सम्मानित करके स्वदेशी जागरण मंच ने सराहनीय कार्य किया है। आपने संघ परिवार एवं जुड़े संगठनों के माध्यम से धरती माता को प्रदूषण से बचाने तथा जैविक कृषि को बढ़ावा देने हेतु आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी एवं स्वदेशी कार्यकर्ताओं को इसमें बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए आग्रह किया। भूमि संपोषण जो कि भूमि की उर्वरा क्षमता को बढ़ाने का एक सफल प्रयोग है, जिससे  कृषि, रासायनिक प्रक्रिया से मुक्त होकर जैविक व प्रकृति पर आयेगी। इसके लिए एक देशव्यापी यात्रा अक्षय कृषि परिवार करेगा, जिसमें स्वदेशी जागरण मंच की महती भूमिका रहेगी।

इसके पश्चात उत्तर प्रदेश क्षेत्र का वृत डॉ राजीव कुमार (क्षेत्रीय संयोजक) ने रखा।

सत्र-3 (03.30 से 05.00)

श्री मंजूनाथ (क्षेत्र संयोजक) ने आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक का वृत्त रखा। श्री केशव दुबौलिया ने मध्य क्षेत्र का वृत्त रखा। 

लघु भारती की ओर से श्री जितेन्द्र गुप्ता ने शिल्पकारों एवं लघु उघोगों द्वारा किस प्रकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है, पर जानकारी दी। 

विद्या भारती की ओर से श्री जे.आर. जगदीश कुमार ने शिक्षा सस्थानों के माध्यम से स्वदेशी को बढ़ाने हेतु किये गए कार्यों से अवगत कराया। 

श्री कश्मीरी लाल (अ.भा. संगठक) ने आत्मनिर्भर भारत विषय पर अपने विचार रखें तथा बताया कि आत्मनिर्भर भारत के लिए हमें अपने गांवों, जिलों एवं प्रदेशों को आत्मनिर्भर बनाना होगा। इसके पांच स्तम्भ है -अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, टैक्नोलॉजी, जनसांख्यिकी तथा मांग। आत्मनिर्भरता के लिए बराबरी के आधार पर समझौते होने चाहिए। आपने आत्मनिर्भर विषय की ऐतिहासिक पृष्टभूमि की भी चर्चा की। इसके साथ-साथ आपने स्वदेशी पर करणीय कार्यों पर सबके साथ चर्चा की। मुख्य कार्य हैं- बैठकों का आयोजन, अपने प्रदेश के बजट पर चर्चा, विचार वलय, लेख लिखना, स्वदेशी सूची तैयार करना, स्वदेशी संकल्प, स्थानीय मुददों को स्वदेशी से जोड़ना आदि।

प्रो. विजय कौल ने हाल ही में संपन्न स्वदेशी थिंक टैंक (सी.ई.पी.आर) कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी तथा बताया कि यह कैसे चीनी वस्तुओं के बहिष्कार आंदोलन के साथ शुरु हुआ है। थिंक टैंक का चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय में चल रहे दत्तोपंत ठेंगड़ी अध्ययन केन्द्र के साथ भी अनुबंध हुआ है, जिसके अंर्तगत आत्मनिर्भर भारत के विभिन्न आयामों पर विस्तृत अध्ययन किया जाएगा।

श्री कमलजीत ने स्टार्टअप, इनोवेशन तथा उधमशिलता विषय पर उदाहरणों सहित अपने विचार रखे। 

मुक्त-चिंतन सत्र (5.00 से 7.00)

श्री बलराम नन्दवानी- अर्थ रोजगार सृजक अभियान में आये लोगों को स्वदेशी ब्रांड एंबेस्टर के रुप में लेकर चलना चाहिए।

श्री कमलजीत- जगाधरी माइक्रो फाईनैंस में महिलाएं बैंक खातों द्वारा हिसाब-किताब रखती है तथा गरीब होने के बावजूद पूरा पैसा वापिस बैंक को लौटाती हैं।

श्री केशव दुबौलिया- स्वदेशी महिला कार्यशाला होनी चाहिए, जिससे नए लोग जुडें़गे।

श्री के. जगदीश- हर जिले में रचनात्मक प्रकोष्ठ हों तथा विचार वर्ग गुणात्मक हो।

डॉ. धर्मेन्द्र दुबे- स्वावलम्बी एवं आत्मनिर्भर भारत के लिए माईक्रो फाईनैंस एवं थिंक टैंक के गठन पर जोर दिया। 

डा. राजकुमार चतुर्वेदी- ने आत्मनिर्भरता हेतु स्थानीय स्तर पर योजना एवं विकास के लिए त्रिवेणी के विचार पर बल दिया, स्थानीय मानवीय संसाधन, महिला सशक्तिकरण, प्राकृतिक संसाधन एवं कृषि।

श्री मंजूनाथ- ने उधमशिलता को बढ़ावा देने के लिए उत्पादवार जिलों में रिपोर्ट तैयार करने की बात कही।

प्रो. राजकुमार मित्तल-  आत्मनिर्भरता हेतु जिले के सभी हितधारकों जैसे शैक्षिक सस्थांए, बैंक, स्थानीय प्रशासन, कृषि विज्ञान केन्द्र, उधमी आदि को साथ लेकर चलने की बात कही।

सत्र-5ः दिनांक 13 दिसंबर, 2020 (09.00 से 10.35)

सत्र की अध्यक्षता श्री कश्मीरी लाल ने की। प्रारम्भ में दिल्ली कार्यालय से श्री तेजराम चाहर ने स्वदेशी पत्रिका तथा प्रांतों से आने वाले केंद्रांश की जानकारी दी। सभी प्रांतों से आग्रह किया गया कि जल्दी से जल्दी केंद्रांश को जमा कराए जाने का प्रयत्न करें। 

डॉ अश्वनी महाजन ने बताया कि इस महीने से पत्रिका ऑफलाईन से प्रकाशित होना शुरु हो जाएगी। सभी ने डाक व्यवस्था में सुधार करने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि यह समय से कार्यकर्ताओं तक पहुंच सकें। इसके साथ-साथ इसकी गुणवत्ता में सुधार हेतु कुछ सुझाव दिये गए। जैसे विशेषांकों को निकालना, पुस्तक परिचय को शामिल करना आदि। श्री कश्मीरी लाल का मार्गदर्शन भी मिला, जिसमें आपने स्वावलंबी जिले हेतु छः बातों पर बल दिया- 1. जिले को जाने, 2. जिलावार स्वदेशी उत्पाद सूची बनाना, 3. स्वदेशी मेले आयोजित करना, 4. व्यवसाय अनुसार बैठकें व सम्मेलन करना, 5. नीति हस्तक्षेप एवं सामाजिक अंकेक्षण, 6. संगठनात्मक विस्तार। आपने कार्यकर्ताओं को अपनी सीमाओं एवं उत्साह को भी ध्यान रखने की बात कही।

प्रमुख सूचनाएं- श्री सतीश कुमार ने निम्नलिखित पर सूचनाएं दी- 1. हस्ताक्षर अभियान के अंतर्गत 48 हजार वोलिंटर्स का डाटा इक्कठा हुआ, जिसको सभी प्रांतो को भेज दिया गया है। सभी प्रांत उसका यथोचित प्रयोग करें। 2. हरियाणा में 70 वोलिंटर्स का 4-5 दिन का प्रशिक्षण वर्ग लगाया गया तथा 22 में से 20 जिलों में संपर्क प्रमुख एवं सह-सम्पर्क प्रमुख लगाए जा चुके हैं। इस दिशा में अन्य राज्य भी प्रयत्न करें। 3. आज के इस युग में सभी 700 जिलों में डिजिटल तकनीक का प्रयोग आवश्यक हो गया है। प्रांत अपने यहां पूर्णकालिक कार्यकर्ता भी नियुक्त करें।

श्री विजय वत्स जी ने उत्तर क्षेत्र का वृत्त रखा। 

इस सत्र के अंत में श्री कश्मीरी लाल ने भी कुछ सूचनाओं की जानकारी दी- 1. दो पारित होने वाले प्रस्तावों तथा एक आत्मनिर्भरता टिप्पणी पर चर्चा हो तथा समाचार पत्रों में लेख भी प्रकाशित हों। 2. राम जन्मभूमि धन संग्रह अभियान में संपर्क में आने वाले लोगों की सूची तैयार करते रहना। 3. प्रांतों की जानकारी रखना तथा कार्यकर्ताओं तक पहुंचाना। इसके लिए प्रांतवार जिम्मेवारी बांटी गई।

सत्र-6 (11.00 से 01.00)

श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी जन्मशताब्दी समारोप कार्यक्रमः श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी जन्मशताब्दी समारोप कार्यक्रम का आरम्भ शंखनाद से शुरु हुआ तथा श्री आर. सुन्दरम, श्री कश्मीरी लाल, श्री अरुण ओझा, डा. अश्वनी महाजन द्वारा दीप प्रज्जवलित किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो.सोमनाथ सचदेव (कुलपति, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय) कुरुक्षेत्र ने किया। 

कार्यक्रम में श्री अरूण ओझा ने अतिथियों का स्वागत एवं परिचय देते हुए स्वदेशी आंदोलन की प्रासंगिकता पर अपने विचार व्यक्त किये तथा बताया कि यह कार्यक्रम यू-टयूब, ूूण्रवपदेमकमेपण्बवउ के माध्यम से प्रसारित किया जा रहा है। कार्यक्रम हेतु 16727 स्वदेशी प्रेमियों ने अपने आप को पंजीकृत करवाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीधर वेम्बू (जोहो ग्रुप के सीईओ) ने की। डा. बजरंग लाल गुप्त (उत्तर क्षेत्र संघचालक) कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रहे। श्री रमेश (बीकानेर भुजिया वाले) कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि रहे। श्री सतीश कुमार ने मंच द्वारा चलाए गये कार्यक्रमों का वृत पी.पी.टी. के माध्यम से सबके सामने रखा। डा. अश्वनी महाजन ने आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा सबके सामने रखी। आपने बताया कि हमें सम्मान से आत्मनिर्भर बनना है तथा विदेशी कंपनियों की गुलामी से बचना है। स्वदेशी जागरण मंच ने विदेशी कंपनियों से शुरु से ही लड़ाई लड़ी। कोविड-19 से निपटने हेतु भारतीय कंपनियां आगे आई और पी.पी.ई., वेटिंलेटर, मास्क आदि न केवल भारतीयों को उपलब्ध करवाए बल्कि बाहर के लोगों को भी प्रदान किये। स्वदेशी जागरण मंच दुनिया के देशों के साथ बराबरी के साथ जुड़ना चाहता है तथा अपने देश को बेहतर बनाकर विश्व कल्याण की कल्पना करता है। आत्मनिर्भर के लिए हम जिला स्तर पर जाएंगे। डा. महाजन ने दो प्रस्तावों को सबके सामने रखा - 1. किसानों को फसल का लाभकारी मूल्य, 2. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नियमों में बदलाव द्वारा बहुराष्ट्रीय कंपनियों की खुदरा व्यापार में प्रवेश पर रोक। जिसे सबने ध्वनिमत से पारित कर दिया।

श्री कश्मीरी लाल ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए व रोजगार सृजित करने के लिए छोटे-छोटे व्यवसायों को पोषित करना होगा। जिसके लिए हमें गांव के कोने-कोने तक जाना होगा। यह विचार करना होगा कि प्रांत, जिला, गांव कैसे स्वावलम्बी बनें तथा इसके लिए जमीनी स्तर पर कार्य करना होगा। स्वावलंबी जिले हेतु आपने पहले कही बातें दोहरायी। 

इसके पश्चात ‘मेरा मन हो स्वदेशी, तन हो स्वदेशी’ गीत का वाचन हुआ। 

विशिष्ट अतिथि श्री रमेश अग्रवाल ने कहा कि हमें अपने देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। इसके लिए हमें स्वदेशी वस्तुओं की गुणवत्ता को बढ़ावा देना चाहिए। 

श्रीधर वैम्बु (कार्यक्रम अध्यक्ष), आपने अपने वक्तव्य में देश की अर्थव्यवस्था पर विशेष चर्चा की तथा कहा  कि भारत देश गांवों में बसता है। इसलिए देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सबसे पहले गांव की अर्थव्यवस्था को सुधारना होगा। आज गांवों के पिछड़ेपन के कारण प्रतिभा का पलायन हो रहा है। आज आवश्यकता है कि गांवों में प्रतिभा का प्रयोग कर नई-नई तकनीकों से ग्रामीण अर्थव्यस्था को सुदृढ़ किया जाए, जिसके लिए उनका संगठन कार्यरत है। आज उनके संगठन से उच्च मूल्य की वस्तुएं यू.एस.ए., जर्मनी आदि देशों को निर्यात की जाती है।

मुख्य वक्ता डॉ. बजरंग लाल गुप्त ने अपने वक्तत्व में कहा कि स्वदेशी जागरण मंच 1991 से लगातार देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए आंदोलनरत है। कोरोना महामारी में इस मंच के माध्यम से अनाज वितरण, भोजन वितरण व दवाई वितरण का कार्य किया गया। उन्होंने कहा कि ठेंगड़ी जी के विचार निरंतर, मजदूर संघ एवं स्वदेशी जागरण मंच के द्वारा आगे बढ़ते रहेंगे। ठेंगड़ी जी एक दृष्टा व सृष्टा दोनों ही थे। जिसका जीता-जागता उदाहरण स्वदेशी जागरण मंच है। 

ठेंगड़ी जी का व्यक्तित्व बहुआयामी था। वे भारतीय एवं विदेशी विचारों के अध्येता थे और हिंदू चिंतन के मर्मज्ञ थे। उन्होंने हिंदू संस्कृति, हिंदू चिंतन को भारत के लिए ही नहीं, अपितू विश्व कल्याण का मार्ग बताया। स्वदेशी समग्र विषय है और राष्ट्रभक्ति की अभिव्यक्ति का आधार है। विदेशी संस्थाएं भारत के लिए ठीक नहीं है। हमारी व्यवस्थायें ही हमें खड़ा करेंगी। उन्होंने कहा कि हिंदू जीवन पद्धति ही विश्व कल्याण का मार्ग है। अधिक भोगवादी प्रवृत्ति पर्यावरण को नुकसान पहुँचाती है, आर्थिक विषमताओं, बेरोजगारी एवं मानसिक तनाव को बढ़ाती है। अतः भारतीय विकास की धारणा में ही आज की समस्याओं का समाधान है। वे किसी भी वाद के विरोधी थे। अतः उन्हांने पूजींवाद एवं साम्यवाद के स्थान पर तीसरा विकल्प सूझाया।

इस अवसर पर श्री सतीश कुमार द्वारा लिखित ‘स्वदेशी चिट्ठी’ पुस्तक का विमोचन भी हुआ। 

कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रीय संयोजक श्री आर. सुन्दरम का वक्तव्य हुआ। जिसमें आपने बताया कि पूरा देश एवं विश्व आज स्वदेशी विचार को ग्रहण कर रहा है तथा हम सबकी इसको निचले स्तर तक ले जाने की जिम्मेवारी और अधिक बढ़ गई है। स्वदेशी जागरण मंच कार्यकर्ताओं द्वारा ठेंगड़ी जन्मशताब्दी कार्यक्रम अधिक से अधिक स्थानों पर कराये जाने पर आपने प्रसन्नता व्यक्त की। 

अंत में राष्ट्रीय संयोजक श्री आर. सुन्दरम ने नए एवं परिवर्तन हुए दायित्व की घोषणा की। इसके पश्चात प्रो. सोमनाथ सचदेव ने सभी अतिथियों, अधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं का धन्यवाद किया तथा गायत्री मंत्र के उच्चारण से समारोप कार्यक्रम संपन्न हुआ।

प्रस्ताव-1

प्रस्ताव-2

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