समग्र विकास के दृष्टिकोण का बजट
2024-25 के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बजट 11.11 लाख करोड़ रूपये किया गया है, इसका असर ये होगा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी एयरपोर्ट, फ्लाईओवर, एक्सप्रेसवे और अस्पताल बनाने जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स पर ज्यादा खर्च होगा। इससे विकास की रफ्तार बढ़ेगी। नए रोजगार पैदा होंगे। - डॉ. देवेन्द्र विश्वकर्मा
2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की भारत की महत्वाकांक्षा का मूल आधार है। देष के बुनियादी ढ़ांचे के विकास में समूह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत अब दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देष और 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की महत्वाकांक्षा रखता है। इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए भारत को अपने ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने के अलावा, षिक्षा, डिजिटल और भौतिक बुनियादी ढ़ांचे दोनों में निवेष करना होगा।
नई अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम आएगी। यह शहरों में किराये के मकानों, अनाधिकृत कॉलोनियों, कच्चे मकानों आदि में रहने वालों के लिए होगी। उन्हें घर खरीदनें-बनाने में मदद मिलेगी। गरीबों के लिए भी पीएम आवास योजना के तहत अगले 5 साल में 2 करोड़ घर देने का लक्ष्य रखा है। पिछले 10 साल में पीएम आवास के तहत 3 करोड़ घर बने हैं। मेट्रो ट्रेन योजनाओं पर 21,336 करोड़ रूपये खर्च होंगे। ये 19,508 करोड़ रूपये थे। स्मार्ट सिटी के लिए 10,400 करोड़ रूपये रखे हैं, पहले 13,200 करोड़ रूपये थे। स्वच्छता पर 5 हजार करोड़ खर्च होंगे। पहले ढ़ाई हजार करोड़ रु. थे। सैन्य खरीदी पर 1.72 लाख करोड़ रु. खर्च होंगे। पूर्वोत्तर में 62 हजार करोड़ रूपये खर्च होंगे। वायु और नौसेना के लिए 73 हजार करोड़ रूपये के विमान आएंगे। 6 पनडुब्बियां बनेंगी। इनके लिए 23,800 करोड़ रूपये अलग से रखे गए हैं।
हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए शुरू की गई फेम योजना की समय सीमा नहीं बढाई गई है। यह मार्च 2024 में खत्म होगी। 2023 में 15 लाख ईवी बिकीं। ये आंकड़ा 2022 से 50 प्रतिषत ज्यादा है। सरकारी कमाई तेजी से बढ़ी है। टेक्नोलॉजी की वजह से टैक्स-जीडीपी अनुपात 15 साल के उच्चतम स्तर पर है, जो 2022-23 के मुकाबले 6.11 प्रतिषत ज्यादा है। सरकारी घाटा दो साल में 4.5 प्रतिषत पर लाने का लक्ष्य तय हुआ है, जोकि कोरोना के समय में 9.2 प्रतिषत तक था। जाहिर है कि सरकार के पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा होगा। ट्रेनों के 40 हजार नॉन एसी कोच अपग्रेड करके वंदे भारत ट्रेन की तर्ज पर होंगे। इसमें 8 साल का वक्त लग सकता है। मौजूदा समय में ट्रेनों में कुल 68,534 कोच हैं। इनमें स्लीपर-जनरल कोचों की संख्या 44,946 है। यानी, मौजूदा समय के स्लीपर और जनरल क्लास के 90 प्रतिषत से ज्यादा कोच वंदे भारत जैसे कोच की सुविधाओं से लैस हो जाएंगे। बजट में सबसे ज्यादा 11 प्रतिषत की बढ़ोतरी पूंजीगत व्यय में की गई। 2024-25 के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बजट 11.11 लाख करोड़ रूपये किया गया है, इसका असर ये होगा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी एयरपोर्ट, फ्लाईओवर, एक्सप्रेसवे और अस्पताल बनाने जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स पर ज्यादा खर्च होगा। इससे विकास की रफ्तार बढ़ेगी। नए रोजगार पैदा होंगे।
तीन नए रेल कॉरिडोर बनाने की घोषणा की गई है। पहला-एनर्जी और सीमेंट कॉरिडोर होगा, जिसका इस्तेमाल केवल सीमेंट और कोयला आदि लाने-ले जाने के लिए किया जाएगा। दूसरा- पोर्ट नेक्टिविटी कॉरिडोर, जिससे देष के सभी बंदरगाहों को जोड़ा जाएगा। तीसरा- हाई डेंसिटी ट्रैफिक कॉरिडोर, जो उन रेल मार्गों के लिए होगा, जहां यात्री ट्रेनों की संख्या ज्यादा है। रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट के तहत एक करोड़ घरों में हर महीने 300 यूनिट फ्री बिजली का लक्ष्य रखा गया है। इससे सालाना 15-18 हजार का फायदा होगा। रेलवे के लिए 2.55 लाख करोड़ रुपए का बजट जारी किया गया। यह बीते साल से 12,122 करोड़ रुपए ज्यादा है। इसमें 5 प्रतिषत की बढ़ोतरी हुई है। इसमें निर्भया फंड से 200 करोड़, आंतरिक संसाधनों से 3 हजार करोड़ और अतिरिक्त बिल से 10 हजार करोड़ रूपये दिए गए हैं। 2024-25 में रेलवे के खर्च का अनुमान 2.78 लाख करोड़ रूपये रखा गया है, 2023-24 में यह 2.58 लाख करोड़ रुपए था। यह बजट 2013-14 की तुलना में करीब 9 गुना ज्यादा है।
युवाओं के लिए 22.5 लाख करोड़ पीएम मुद्रा योजना, स्टार्ट अप और क्रेडिट गारंटी जैसे योजनाओं से भी हमारे युवा वर्ग को सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे कि युवा भी रोजगारदाता बन सके। 1.4 करोड़ युवाओं को स्किल इडिया, 34 लाख युवाओं का कौषल उन्नयन की बात बजट में की गई, लेकिन सबसे बड़ी बात है कि 47.66 लाख करोड़ का अंतिम बजट में केवल 30.80 लाख करोड़ राजस्व प्राप्त हुआ है। देष को पर्यटन हब बनाने पर फोकस इस बजट में किया गया है, इससे युवा को रोजगार मिलेगा वहीं दूसरी ओर षिक्षा में पर्यटन षिक्षा का महत्व बढ़ेगा। रोजगार सृजन, ढांचागत, सुविधाओं एवं युवाओं द्वारा संचालित स्टार्ट अप में टैक्स में छूट देने की बात की गई है। बजट में शिक्षा पर आवंटन कुछ कम कर दिया गया है। हम सब जानते है कि विश्वविद्यालय में षिक्षकों एवं प्रषासनिक अधिकारियों एवं कर्मचारियां की कमी है, जो षिक्षक विष्वविद्यालय में है वह षिक्षा एवं शोध कम बड़े बाबू की भूमिका ज्यादा निभा रहे है। भारत में कान्ॅॅफ्रेंस एवं सेमीनार भी कम हो रहे है, कई विष्वविद्यालय नियुक्तियां हेतु विज्ञापन तो निकाल रहे है, एवं आवेदन शुल्क 1000 से 4000 तक ले रहे है एवं बाद में निरस्त कर दे रहे है, आवेदन शुल्क भी वापिस नहीं कर रहे है। षिक्षा के बजट को बढ़ाना, षिक्षा का व्यवसायिकरण रोकना, राष्ट्रीय षिक्षा नीति 2020 जो षिक्षा का भारतीयकरण करना चाहती है, षिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाकर भारत को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है, उसको महत्व देना आवष्यक है। बजट 2024-25 में युवा महिला, ग्रामीण विकास एवं समग्र विकास की ओर विषेष ध्यान दिया गया है, निष्चित रूप से इस बजट में आत्मनिर्भर भारत 2047 को बनाने में मजबूती प्रदान होगी।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का बजट 17,000 से बढ़ाकर 19,000 करोड़ किया। ग्राम स्वराज योजना बजट 20 प्रतिषत बढय़ा। रसोई गैस मुहैया करने के लिए 9 हजार करोड़ रूपये रखे गए हैं। इसमें 500 करोड़ रूपये की बढ़ोतरी हुई है। फसल बीमा योजना का बजट 2.7 प्रतिषत अन्नदाता संरक्षण का 21 प्रतिषत, यूरिया सब्सिडी का बजट 7.5 प्रतिषत घटा दिया। फसल कटाई के बाद स्टोरेज के लिए प्राइवेट और पब्लिक इन्वेस्टमेंट हो सकेगा। कृषि सिंचाई का खर्च 22 प्रतिषत बढ़ाया जाएगा। सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाओं को स्किल डेवलपमेंट योजना के तहत वित्तीय मदद बढ़ेगी। इसके जरिए 5 साल में 3 करोड़ महिलाओं को लखपति बनाने का लक्ष्य है। 9-14 साल की लड़कियों का सर्वाइकल कैंसर वैक्सीनेष होगा। आयुश्मान भारत योजना के दायरे में 14 लाख आषा वर्कर्स और आगंनवाड़ी वर्कर्स को भी जोड़ा जाएगा। समग्र षिक्षा फंड 11 प्रतिषत घटाकर 33,500 करोड़ किया। नए मेडिकल कॉलेज के लिए कमेटी बनेगी। पहली बार उच्चतर षिक्षा प्रणाली में सुधार करने के लिए 1,815 करोड़ रुपए का अलग से बजट अलग से प्रस्तावित किया गया है।
आज भारत का आर्थिक एवं सामाजिक विकास तेजी से हो रहा है कृषि को बिजली एवं सिंचाई की सुविधा में वृद्धि हुई है। मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास, उज्जवला योजना ग्रामीण सड़क ने क्रांतिकारी बदलाव किए हैं लेकिन सरकार के सामने वित्तीय घाटा एक बड़ी चुनौती है साथ ही साथ युवाओं को रोजगार के लिए अन्य माध्यमों की भी तलाष करनी होगी, यह अंतरिम बजट में जनकल्याण योजनाओं एवं देष को विकसित बनाने पर जोर दिया गया, लेकिन बजट में षिक्षा को विषेष महत्व देना चाहिये जो शायद दिखाई नहीं दिया। मातृभाषा में षिक्षा, शोध, योग, आयुर्वेद षिक्षा आदि के क्षेत्र में विषेष बजट की आवष्यकता थी।
षिक्षा के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रकचर का विकास विषेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में करने की आवष्यकता थी एवं जो षिक्षा के कारण भारत से पलायन हो रहा है उसको रोकने के लिए भी मजबूत नीति की आवष्यकता थी लेकिन फिर भी सरकार का यह बजट समग्र विकास के दृष्टिकोण को पूर्ण करता है।
लेखक- आर्थिक विषेषज्ञ, एम.ए.अर्थषास्त्र, एम.ए. ग्रामीण विकास, एम.बी. वित्त, पी.एच डी, एवं डी.लिट् अर्थशास्त्र है।
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