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कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में भारत की छलांग

यदि भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्यगिकी का अनुकूलतम उपयोग किया जाता है) तो वर्ष 2035 तक ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी जनित गतिविधियाँ भारत की आर्थिक संवृद्धि में लगभग 3-4 प्रतिशत का अतिरिक्त योगदान दे सकती है। - डॉ. जया शर्मा

 

कृत्रिम बुद्धिमत्ता अर्थात आर्टिफिशियल इण्टेलिजेन्स के प्रसार के साथ भारत एक नवीन आर्थिक क्रान्ति का सूत्रपात करने जा रहा है। भारत अपनी विशाल तकनीकी प्रतिभा (टेलेण्ट पूल) के बल पर इस क्षेत्र में विश्व की अग्रणी शक्ति बनने की दिशा में बढ़ रहा है। कृत्रिम बुद्धिमता अर्थात आर्टिफिशियल इण्टेलिजेन्स या ए.आई. का 2030 तक विश्व की अर्थव्यवस्था में प्रत्यक्ष 300 खरब डालर अर्थात 30 ट्रिलियन डालर से अधिक का होगा। इसमें भारत का विशेष ध्यान रखना होगा। भविष्य में ए.आई. में अग्रणी वे देश ही विश्व अर्थव्यवस्था में अपना स्थान बना सकेंगे जो ए.आई. में आगे रहेंगे।

पाँच प्रमुख शक्तियों में भारत

विगत पांच वर्षों में भारत ने कृत्रिम बुद्धिमता में अच्छी प्रगति की है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता अर्थात एआई में अनुसन्धान, स्टार्टअप्स एवं निवेश की दृष्टि से भारत ने आज विश्व के प्रमुख पाँच राष्ट्रों मेंपांचवा स्थान बना लिया है। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के वार्षिक एआई सर्वेक्षण में भारत विश्व के पाँच शीर्ष देशों में है। इस वैश्विक सर्वेक्षण के अनुसार पिछले वर्ष 2022 में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित उत्पादों एवं सेवाओं की पेशकश करने वाले स्टार्टअप्स द्वारा प्राप्त निवेश प्राप्ति के मामले में भारत विश्व में पांचवें स्थान पर पहुँच गया था। भारत को 2022 में एआई स्टार्टअप्स में कुल 3.4 अरब डालर का निवेश प्राप्त हुआ है। भारत ने इस प्रकार एआई स्टार्टअप्स में निवेश प्राप्तकर्ता देशों में पिछले वर्ष दक्षिण कोरिया, जर्मनी, कनाडा और आष्ट्रेलिया जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया है। अब अमेरिका, चीन, ब्रिटेन और इजरायल ही भारत से आगे है। अपनी तकनीकी प्रतिमा व उच्च उद्यमिता-जन्द पहल के आधार पर भारत इस क्षेत्र में तीसरा स्थान भी आसानी से प्राप्त कर सकता है।

युवा प्रतिभाओं की अपूर्व रूचि, पहल व उद्यमशीलता के रूझानों को देखते हुए भारत में प्रति तिमाही वेन्चर केपिटल फण्डिंग में वृद्धि की अपेक्षा की जा रही है। तालिका क्र. 1 में दिये विगत दशक के सूचकांकों की 2022 के सूचकांको की तुलना से विदित होता है कि 2013 और 2022 के बीच एआई मे संचयी निवेश के मामले में छठा प्रमुख देश था। इन दस वर्षों में देश की एआई कम्पनियों का 7.73 अरब डालर का वित्त पोषण हुआ है। इसमें से पिछले वर्ष ही 40 प्रतिशत वित्तीयन हुआ है। इस त्वरित वृद्धि से भारत पाँचवें स्थान पर आने में सफल हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार इस वर्ष वेंचर केपिटल फण्ड्स के द्वारा वित्त पोषण में वृद्धि के रूझान को देखते हुए भारत में इसमें और तेजी आएगी। और भारत चैथे स्थान पर आ जाएगा। तीसरे स्थान पर इग्लैण्ड के बाद भारत और इजरायल दोनों की चैथे स्थान पर ही हैं।

व्यापक अनुप्रयोग

कृत्रिम बुद्धिमत्ता या एआई प्रौद्योगिकी एक अत्यंत विस्तृत व व्यापक क्षेत्र है। इसके अंतर्गत विभिन्न प्रौद्योगिकी के कई अभिनव क्षेत्र हैं। यथाः मशीन लर्निंग) डीप लर्निंग) रोबोटिक्स) बिग डेटा एनेलिसिस परिधेय प्रौद्योगिकी इंटरनेट ऑफ थिंग्स यथाः ब्लॉकचैन फोटो रिकाग्निशन इत्यादि कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी की ही अन्य भी कई उप शाखाएँ हैं। इनका उपयोग मानवीय जीवन को सहज और सरल बनाने की ओर ले जाना है। इसका उपयोग कृषि) रोग निदान) चिकित्सा) अन्तरिक्ष विज्ञान) रक्षा) आन्तरिक सुरक्षा) व्यावसायिक प्रबन्ध) भाषा विज्ञान) आर्थिक नियोजन व प्रबन्ध आदि अनेक क्षेत्रों में किया जाता है।

भारत बन रहा एआई समाधानों का वैश्विक केंद्र

कृत्रिम बुद्धिमत्ता की राष्ट्रीय रणनीति की विविध प्राथमिकताओं में सर्वाधिक बल इस बात पर दिया गया है कि भारत विश्व की 40 प्रतिशत जनता के लिए कृत्रिम बुद्धिमता का समाधान केन्द्र अर्थात ‘गैराज‘ बने। जैसे एक स्वचालित कार की कमियों का समाधान कारों के गैराज में ही होता है) वैसे ही मानवता की 40 प्रतिशत समस्याओं के लिए भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता का गैराज बने। इसकी पूरी सम्भावना है। विश्व की अनेक बड़ी कम्पनियां इस संबंध में अपने वैश्विक क्षमता केन्द्रो ग्लोबल केपेबिलिटी सेण्टर्स की स्थापना भारत में ही कर रही हैं। विश्व के ऐसे 40 प्रतिशत केन्द्र आज भी भारत में हैं।

नीति आयोग ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर 40 प्रतिशत समाधान भारत करे, इस हेतु अत्यन्त महत्वाकांक्षी लक्ष्य व प्राथमिकताएं निर्धारित की है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता की इस राष्ट्रीय रणनीति में जिन तीन प्रमुखघटकों व पाँच अनुप्रयोग क्षेत्रों पर विशेष बल दिया है। उनमें तीन लक्ष्य निम्न हैं -

तीन प्रमुख लक्ष्य

1.    व्यापक मानवीय हित अर्थात ‘ग्रेटर गुड‘ के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग कर सामाजिक विकास और समावेशी विकास की दिशा में अग्रसर होना।
2.    विकास के अवसरों की पूर्ति की दृष्टि से आर्थिक क्षेत्र में भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अनुकूलतम उपयोग करे।
3.    विश्व के 40 प्रतिशत लोगों के जीवन के सहजीकरण के लिए ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता का गैराज या कार्यशाला बने।

अनुप्रयोग के पांच प्रमुख क्षेत्र

नीति आयोग द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए घोषित की गई राष्ट्रीय रणनीति के अंतर्गत चयनित देश में आन्तरिक समस्या समाधान व वैश्विक स्तर पर सघन अनुप्रयोगों के जिन पाँचों क्षेत्रों को चुना है व इस प्रकार हैं -

1. शिक्षा और कौशल क्षेत्र; 2. कृषि क्षेत्र; 3. स्वास्थ्य क्षेत्र; 4. स्मार्ट मोबिलिटी व परिवहन; 5. स्मार्ट सिटी व अवसंरचना (इन्फ्रास्ट्रक्चर)।


तालिका-1ः एआई में विगत दशक के एवं 2022 के निवेश में भारत का स्थान

देश                                        कुल निवेश                         देश                                  कुल निवेश 
                                (2013 से 2022 तक, अरब डालर)                                      (2022-23, अरब डालर) 
यूनाइटेड स्टेटस                           248.9                             यूनाइटेड स्टेटस                    47.36
चीन                                           95.11                           चीन                                   13.41
यूनाइटेड किंगडम                          18.24                           यूनाइटेड किंगडम                   4.37
ईजराइयल                                   10.83                           ईजराइयल                            3.24
कनाडा                                         8.83                           भारत                                  3.24
भारत                                           7.73                           साउथ कोरिया                       3.10
जर्मनी                                           6.99                           जर्मनी                                 2.35
फ्रांस                                            6.59                           कनाडा                                1.83
साउथ कोरिया                                 5.57                           फ्रांस                                   1.77
सिंगापुर                                         4.72                           अर्जेटिना                              1.52
जापान                                           3.99                           आस्ट्रेलिया                            1.35
होंग कोंग                                        3.10                           सिंगापुर                               1.13
स्विट्जरलैण्ड                                    3.04                           स्विट्जरलैण्ड                        1.04
आस्ट्रेलिया                                        3.04                           जापान                                0.72
स्पेन                                               1.81                            फिनलैण्ड                            0.61

स्रोत- स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय का एआई पर सर्वेक्षण


भारत के तेजी से बढ़ते कदम

स्टेनफॉर्ड विश्वविद्यालय के प्रतिवेदन के अनुसार भारत में एआई स्टार्टअप्स को 2013 से 2022 कुल डॉलर 7-73 अरब का फंडिंग प्राप्त हुआ। उसमें 3-1 अरब डालर अर्थात लगभग 40 प्रतिशत फंडिंग केवल 2022 में हुई थी। इसी से 2022 में भारत ने पांचवां स्थान प्राप्त किया। 2013 से 9 वर्षों में प्राप्त संचयी निवेश का यह 66-84 प्रतिशत था। यदि 2023 में भी वृद्धि की यही उच्च दर बनी रहती है तो हमारा 2023 का नया निवेश 5-1 अरब डालर व संचयी निवेश 12-9 अरब डालर हो जायेगा। ऐसा होने पर भारत इजरायल व यूके को पीछे छोड़ तीसरे स्थान पर आ सकता है।

भारत में मई 2023 तक चैट जीपीटी जैसे जेनरेटिव एआई के अनुप्रयोग तेजी से बढ़े हैं। भारतीय जेनरेटिव एआई परिदृश्य में मई 2023 तक 60 से अधिक स्टार्टअप थे, जो विभिन्न उद्योग क्षेत्रों में फैले अपने ग्राहकों को समाधान और सेवाएं प्रदान करने के लिए समर्पित थे। इस जेनरेटिव एआई के क्षेत्र में ही मई तक डालर 59 करोड़ से अधिक की फंडिंग आ चुकी है।

स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के एआई इंडेक्स रिपोर्ट ने यह भी बताया कि बड़े भाषा मॉडल पर काम करने वाले शोधकर्ताओं में से 54 प्रतिशत अमेरिकी संस्थानों से है। लेकिन, पिछले वर्ष में पहली बार, कनाडा, जर्मनी और भारत से शोधकर्ताओं ने बड़े भाषा मॉडल के विकास में योगदान दिया है।

आर्थिक योगदान की प्रचुर सम्भावनाएँ

नीति आयोग का यह मत है कि इस व्यवस्था के माध्यम से विश्व की लगभग उन सभी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है जो विश्व के लगभग 40 प्रतिशत लोगों को कई प्रकार से परेशान करती हैं।

आशावादी आकलनों के अनुसार उपयुक्त तैयारी के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता सम्बन्धी प्रौद्योगिकी 2030 तक भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग 15-25 खरब डालर अर्थात 1-5 से 2-5 ट्रिलियन डॉलर तक का अतिरिक्त मूल्य वर्द्धन करने में सफल सिद्ध हो सकती है। यदि भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्यगिकी का अनुकूलतम उपयोग किया जाता है) तो वर्ष 2035 तक ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी जनित गतिविधियाँ भारत की आर्थिक संवृद्धि में लगभग 3-4 प्रतिशत का अतिरिक्त योगदान दे सकती है।                 

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