प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2022 तक 2 करोड़ 95 लाख घर बनाने का लक्ष्य रखा गया था। अब तक लगभग 2 करोड घरों का निर्माण कर दिया गया। — शिवनंदन लाल
सरकार गरीब कल्याण के लिए ढेर सारी योजनाएं चला रही है, जिसमें आवास योजना भी शामिल है। प्रधानमंत्री आवास योजना को वर्ष 2015 में शुरू किया गया था इसका उद्देश्य वर्ष 2022 तक देश के हर परिवार को ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्र में आवास देना है ताकि सब के पास रहने के लिए एक अदद पक्का घर हो जाए। लेकिन अब सरकार ने इसकी अवधि वर्ष 2024 तक बढ़ा दी है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2022 तक 2 करोड़ 95 लाख घर बनाने का लक्ष्य रखा गया था। अब तक लगभग 2 करोड घरों का निर्माण कर दिया गया। चूंकि कोरोना महामारी के कारण देश दुनिया के कामों में बाधा पहुंची थी उसका सीधा असर इस योजना पर भी पड़ा है। 95 लाख घर बनने अभी बाकी है, लिहाजा सरकार ने आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए इस योजना की अवधि को बढ़ा दिया है जिससे कि वर्ष 2024 तक हर गरीब को एक पक्का मकान मिल सके।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग लोगों को घर मुहैया कराया जाता है। योजना के अंतर्गत सरकार लोगों को घर बनवाने के लिए लोन पर सब्सिडी की सुविधा देती है। छोटी दीपावली यानि धनतेरस के मौके पर प्रधानमंत्री ने हाल ही में लाखों हितग्राहियों को डिजिटल माध्यम से गृह प्रवेश कराया था। आवास आवंटन के मामले में देश में उत्तर प्रदेश बड़ा राज्य होने के नाते सबसे आगे है। इसके बाद मध्य प्रदेश और तमिलनाडु क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर है।
भारत सरकार द्वारा राज्य केंद्र शासित प्रदेशों केंद्रीय नोडल एजेंसियों के माध्यम से देश के शहरी क्षेत्रों में सभी पात्र लाभार्थियों को पक्के मकान उपलब्ध कराने के लिए क्रियान्वित की गई है। यह योजना देश के संपूर्ण शहरी क्षेत्रों अर्थात वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार सभी सांविधिक कस्बों और अधिसूचित नियोजित विकास क्षेत्रों को कवर करती है। इस योजना को चार कार्य क्षेत्रों के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है - 1. लाभार्थी के नेतृत्व में निर्माण संवर्धन (बीएलसी), 2. साझेदारी में किफायती आवास (एएचपी), 3. इन सीटू स्लम पुनर्विकास (आईएसएसआर), 4. क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (सीएलएसएस)। इस योजना के लिए भारत सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करती है वहीं राज्य सरकार केंद्र शासित प्रदेश लाभार्थियों के चयन सहित योजना को लागू करने में अहम भूमिका अदा करते हैं।
वर्ष 2004 से 2014 के दौरान शहरी आवास योजना के अंतर्गत 8 लाख 4 हजार आवासों का निर्माण पूरा किया गया था। मोदी सरकार के कार्यकाल में सभी पात्र शहरी निवासियों को अधिक से अधिक संख्या में आवास उपलब्ध कराने के मुद्दे पर फोकस किया गया और पीएमएवाई शहरी योजना की परिकल्पना की गई। वर्ष 2017 में मूल अनुमानित मांग 100 लाख आवासों की थी। इस मूल अनुमानित मांग के मुकाबले 102 लाख मकानों का शिलान्यास कर निर्माणाधीन बना दिया गया है। इनमें से 62 लाख आवासों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। कुल स्वीकृत 123 लाख मकानों में से 40 लाख आवासों के प्रस्ताव राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से देर से यानी योजना के अंतिम वर्षों के दौरान प्राप्त हुए थे जिन्हें पूरा करने के लिए अतिरिक्त और 2 वर्ष की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल की समिति ने इसकी अवधि 2022 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2024 कर दिया है।
मालूम हो कि 2004 से 2014 के बीच आवास योजना के लिए जारी किए गए 20 हजार करोड की कुल राशि के मुकाबले वर्ष 2015 से लेकर अब तक 2 लाख 10 हजार करोड रुपए स्वीकृत हुए हैं। 31 मार्च 2022 तक 1 लाख 18 हजार 20 करोड रुपए की केंद्रीय सहायता राशि जारी हो चुकी है और इस निमित्त 30 दिसंबर 2024 तक 85 हजार 406 करोड रुपए केंद्रीय सहायता सब्सिडी के रूप में जारी किए जाएंगे ।
इसी तर्ज पर प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिए प्रस्तावित योजना का तीन चौथाई से अधिक का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। सरकार को भरोसा है कि स्थाई प्रतीक्षा सूची में शामिल सभी आवासों का लक्ष्य अमृत महोत्सव के अंत तक पूरे हो जाएंगे। वर्ष 2011 के डेटाबेस का उपयोग करके पहचान की गई मौजूदा स्थाई प्रतीक्षा सूची के हिसाब से अब तक सवा दो करोड़ लाभार्थी पात्र पाए गए हैं। हालांकि इस सूची में शुरू में 2 करोड़ 95 लाख परिवार शामिल थे किंतु मंजूरी के समय सत्यापन सहित कई स्तरों पर की गई जांच में बहुत सारे घरों को पात्र नहीं पाया गया। इसलिए इस सूची को सीमित कर दिया गया आगे इसमें और कमी होने की संभावना है। इसे देखते हुए लगभग 2 करोड मकानों को मंजूरी दी गई है और मंजूरी पाने वाले मकानों में तीन चौथाई का काम पूरा हो चुका है।
वित्तीय वर्ष 2020-21 में बजटीय सहायता के रूप में कुल 19 हजार 269 करोड रुपए का आवंटन उपलब्ध कराया गया था। इसके अलावा 20 हजार करोड रूपए की अतिरिक्त बजटीय सहायता प्रदान की गई। कुल मिलाकर 39 हजार 269 करोड रुपए की राशि जारी की गई जो योजना शुरू होने के बाद किसी भी वर्ष में जारी की गई सबसे अधिक राशि है। राज्यों की हिस्सेदारी सहित राज्य द्वारा किए गए वह में मौजूदा वित्त वर्ष में 46 हजार 661 करोड़ की अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014-15 से आवास कार्यों की गति में तेजी आई है जिसमें पूर्ववर्त्ती इंदिरा आवास योजना भी शामिल है। सुधारों पर जोर देने के कारण इंदिरा आवास योजना में भी 73 लाख घरों का निर्माण पूरा हुआ है।
कुछ कार्यान्वयन सुधारों के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत सरकार ने मकानों के निर्माण की गति और गुणवत्ता में सुधार करने, लाभार्थियों को समय पर सहायता राशि जारी करने, लाभार्थियों के खाते में धन का प्रत्यक्ष हस्तांतरण, लाभार्थियों के लिए तकनीकी सहायता सुनिश्चित करने और एमआईएस आवास सॉफ्ट तथा आवास ऐप के माध्यम से कड़ी निगरानी रखने का लक्ष्य रखा है।
इस बीच पात्र परिवारों की पहचान के लिए फील्ड अधिकारियों की मदद से सभी राज्यों केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा आवास प्लस नाम का एक सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण में पता चला है कि कई लोगों को पात्र होने के बावजूद स्थाई प्रतीक्षा सूची में शामिल नहीं किया गया है। वित्त मंत्रालय ने ऐसे पात्र परिवारों को शामिल किए जाने पर सहमति दी है। बताते हैं कि सर्वेक्षण नतीजे की समीक्षा की जा रही है और इसके बाद इसका कार्यान्वयन किया जाएगा।
आजादी के अमृत काल में सभी के लिए आवास के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय ग्रामीण विकास व शहरी कार्य मंत्रालय की हालिया बैठक में किफायती आवास के लिए सबको शामिल करने की सुविधा, किफायती आवास की सुपुर्दगी बढ़ाने के लिए अन्य योजनाओं शहरी नियोजन और बुनियादी ढांचे की रणनीतियों के साथ तालमेल तथा किफायती आवास क्षेत्र में निजी भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया।
वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने शहरी आवास के महत्व को रेखांकित किया था तथा कहा कि भारत 2022 से 2047 तक अगले 25 वर्षों के अमृत काल के दौरान अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए जो कार्य नीति तैयार की है उनमें सबके लिए घर को प्राथमिकता दी गई है। पीएम आवास योजना के तहत चिन्हित पात्र लाभार्थियों ग्रामीण और शहरी दोनों के लिए 80 लाख घरों का लक्ष्य पूरा करने के लिए 48 हजार करोड की राशि आवंटित की गई है इसमें 28 हजार करोड़ का प्रावधान शहरी क्षेत्र के लिए है। यह वित्तीय प्रतिबद्धता न केवल आश्रय प्रदान करेगी बल्कि 80 लाख लाभार्थी परिवारों के जीवन में सम्मान भी जोड़ेगी। इससे देश के लगभग 4 करोड़ नागरिकों को प्रत्यक्ष लाभ होगा। वर्ष 2022 देश में बनने वाले इन 80 लाख घरों में 28 लाख घर शहरी इलाकों में तथा 52 लाख घर ग्रामीण क्षेत्रों में बनेंगे।
जहां तक इस योजना के तहत लाभ प्राप्त करने की बात है तो सबसे पहले पीएमएवाई की अधिकारिक वेबसाइट चउंलउपेण्हवअण्पद पर लॉग इन कर एलआईजी, एमआईजी, ईडब्ल्यूएस या स्लमवासियों के तहत विकल्प चुनना होता है। इसके बाद आधार नंबर दर्ज कर उसका विवरण स्थापित सत्यापित करना होता है। सभी विवरण देने के बाद कैप्चा कोड डालकर सबमिट कर देने से आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
3 लाख से 18 लाख रुपए तक की वार्षिक आय वाला कोई भी परिवार इसके लिए आवेदन कर सकता है। आवेदक या आवेदक के परिवार के पास देश के किसी भी हिस्से में पक्का घर नहीं होना चाहिए।