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कदम-दर-कदम देश विकास के पथ पर अग्रसर

भारत को विकसित देशों की सूची में शामिल होने के लिए सकल राष्ट्रीय आय, प्रति व्यक्ति आय, पीडीपी और एसबीआई के पैमाने पर अनुमान के अनुरूप आगे भी खरा उतरना होगा। - अनिल तिवारी

 

विकसित देश उसे कहते हैं, जहां तकनीक की मदद से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने की क्षमता हो, बड़े स्तर पर औद्योगीकरण हो, कृषि का यंत्रीकरण किया गया हो, पशुपालन तथा दूध व्यवसाय की स्थिति उन्नत हो रही हो, विकसित यातायात व संचार व्यवस्था हो, प्रति व्यक्ति अधिकतम आय हो, मनोरंजन की सुविधा हो, सभी आत्मनिर्भर हो, देश में गरीबी न हो, सूचना प्रौद्योगिकी, अनुसंधान, परामर्श सेवाएं, शिक्षा आदि की सुविधा सबके लिए उपलब्ध हो, जीवन प्रत्याशा अधिक हो। भारत यह सब हासिल करने की दिशा में तेज गति से बढ़ रहा है। उम्मीद ही नहीं भरोसा किया जा रहा है कि जब भारत 2047 में अपनी आजादी के 100 साल पूरा करेगा, तब विकसित देश का लक्ष्य पूरा कर लेगा। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट इसी विकसित भारत का संकेत दे रहा है।

सरकार के पूर्ण बजट में कृषि क्षेत्र को उत्पादनोमुख बनाने, रोजगार सृजन में तेजी लाने, निर्माण व विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत बनाने, सेवा क्षेत्र को सबल करने, ग्रामीण व शहरी विकास को सुनिश्चित करने, ऊर्जा की क्षमता में इजाफा करने, आधारभूत संरचना को मजबूत बनाने, नवाचार एवं शोध आदि पर अत्यधिक जोर देने के लिए प्रावधान किए गए हैं। देश दुनिया की तमाम आर्थिक एजेंसियों की राय में भारत सबसे अधिक तेजी के साथ विकास  करने वाला देश है। आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के 6.5 से 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत की विकास दर की रफ्तार न सिर्फ संतोषजनक है बल्कि विकसित अर्थव्यवस्था बनने का संकेत है।

भारत की मौजूदा और अनुमानित विकास दर के आधार पर भारतीय और वैश्विक एजेंसियों के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था आसानी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जल्दी ही बन सकती है। वैश्विक एजेंसी एस.पी. ग्लोबल के अनुसार भारत 2030 में जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है, जबकि क्रिस्टल का कहना है कि भारत 2031 में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। वित्त मंत्रालय के अनुसार 2027 में भारतीय अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंचकर दुनिया की सबसे बड़ी तीसरी अर्थव्यवस्था बन जाएगी जबकि 2030 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी।

यह सारे अनुमान गलत नहीं है, क्योंकि भारतीय और वैश्विक एजेंसियों के अनुसार भारत की विकास दर 2030 तक 6 से 7 प्रतिशत के बीच रह सकती है। ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था आसानी से 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है और 2030 तक इसका आकार 7 ट्रिलियन डॉलर का हो सकता है। ’द इंडियन इकोनामीः ए रिव्यू रिपोर्ट’ में भी भारतीय अर्थव्यवस्था के 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर और 2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर और 2047 तक भारत के विकसित देश बनने की बात कही गई थी।

दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के साथ-साथ सरकार चाहती है कि आजादी के सौ वर्ष यानी 2047 तक भारत एक विकसित राष्ट्र बन जाए। इस सपने को साकार करने के लिए आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए पूंजीगत खर्च में तेजी लाना जरूरी है। समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र को मजबूत करना जरूरी है, इसीलिए सरकार ने इसके लिए बजट में 2.66 लाख करोड रुपए का प्रावधान किया है। अन्नदाता के जीवन को बेहतर बनाने के लिए 6 करोड़ किसानों का विवरण लैंड रजिस्ट्री में दर्ज किया जाएगा, जिससे किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में आसानी होगी। पांच राज्यों में नए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाने की बात बजट में की गई है। किसान क्रेडिट कार्ड में लाखों किसानों को आत्मनिर्भर बनने में मदद की है। माना जा रहा है कि सरकार की इस पहल से अन्नदाता किसान को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा। 

बजट प्रावधानों के अनुसार एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक तरीके से खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा उत्पादन कम लागत में किया जा सके। बजट प्रावधानों के मुताबिक सब्जियों के उत्पादन में तेजी लाने के लिए उसके कलस्टर में वृद्धि की जाएगी। इन प्रावधानों से निश्चित ही कृषि का क्षेत्र और अधिक सशक्त होकर उभरेगा।

बजट में शिक्षा रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड रुपए का आवंटन किया गया है। 5 सालों में 4.01 करोड़ युवाओं को 2 लाख करोड रुपए की लागत से रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। युवाओं के लिए मुद्रा ऋण की सीमा बढ़ाकर 10 लख रुपए से 20 लख रुपए तक कर दिया गया है, इससे उन्हें कुछ बड़े स्तर पर कारोबार करने में भी मदद मिलेगी। बजट के अनुसार 500 शीर्ष कंपनियों में 5 करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप दी जाएगी और उन्हें 5000 रूपये का मासिक भत्ता भी दिया जाएगा। इस प्रावधान से युवा कौशल युक्त बन सकेंगे और उन्हें रोजगार मिलने में आसानी होगी। बजट में 5 सालों में 20 लाख युवाओं को कौशल युक्त बनाने के लिए प्रावधान किए गए हैं और इस क्रम में आदर्श कौशल ऋण योजना के तहत युवाओं को 7.5 लख रुपए का ऋण भी दिया जाएगा।

केंद्र की मोदी सरकार ने अपने तीसरे साल के पहले पूर्ण बजट में यह कहा है कि विनिर्माण क्षेत्र में सूक्ष्म, छोटे, मझौले उद्योगों के लिए तीन ऋण गारंटी योजना लाएगी ताकि अधिक से अधिक संख्या में उद्यमियों को भी रोजगार मिल सके। 

प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी 2.0 के तहत एक करोड़ परिवारों को आवास प्रदान करने के लिए 10 लाख करोड रुपए निवेश करने का प्रावधान बजट में किया गया है। शहर में अधिक से अधिक लोगों का खुद का घर हो के लिए आमजन को सस्ती दर पर कर्ज मुहैया कराने और उन्हें अत्यधिक सब्सिडी की सुविधा दिए जाने का भी ऐलान किया गया है। बजट में पहली बार 100 शहरों में औद्योगिक पार्क बनाने के लिए भी पहल की गई है ताकि उद्योग और कारोबार को और अधिक बल मिल सके। इन सभी प्रावधानों से यह संकेत मिलता है कि विकास दर में तेजी लाने के साथ-साथ विकास के प्रमुख मानकों को मजबूत करने के लिए बजट में सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है।

जहां तक भारत के 2047 तक विकसित देश बनने का सवाल है तो यह सपना अब धीरे-धीरे हकीकत बनने का इशारा कर रहा है। एक विकसित देश कहलाने के लिए दुनिया के स्तर पर जिन मानकों की जरूरत होती है भारत अपने लगातार प्रयास से धीरे-धीरे उस पर खरा उतरता जा रहा है। यह ठीक है कि एक अति विकसित देश कहलाने के लिए दुनिया के विकसित देशों ने अपने हिसाब से कुछ पैमाने तय कर रखे हैं , संभव है उनके बनाए कुछ पैमानों पर भारत शत प्रतिशत खरा न उतरे लेकिन एक विकसित राष्ट्र कहलाने के लिए जो बुनियादी शर्ते हैं भारत उसे जरुर हासिल कर सकेगा। बजट में इस बात के साफ संकेत हैं। भारत में हाल के वर्षों में तकनीक की मदद से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने की क्षमता बढ़ी है। वृहद स्तर पर औद्योगीकरण हुआ है। 

कृषि का यंत्रीकरण लगातार हो रहा है। पशुपालन तथा दुग्ध व्यवसाय की स्थिति मजबूत हुई है। विकसित यातायात व संचार व्यवस्था कई गुना अधिक और बेहतर हुई है। देश में सड़कों का जाल बिछा है। शिक्षा की सुविधा हर नागरिक तक पहुंचाने के लिए समावेशी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के जरिए सभी को कौशल युक्त करने का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। देश में लोगों की जीवन प्रत्याशा तो बढ़ी ही है मानव विकास सूचकांक में भी भारत लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।

कुल मिलाकर भारत को विकसित देशों की सूची में शामिल होने के लिए सकल राष्ट्रीय आय, प्रति व्यक्ति आय, पीडीपी और एसबीआई के पैमाने पर अनुमान के अनुरूप आगे भी खरा उतरना होगा। एक वृहद दृष्टिकोण के साथ देखा जाए तो 2047 तक भारत की जीडीपी 30 ट्रिलियन डॉलर की हो सकती है। लेकिन हमें बहुत अधिक खुश्फहमी पालने की जरूरत नहीं है क्योंकि दुनिया के देशों द्वारा अति विकसित देश के लिए बनाए गए पैमानों पर खुद को मुकम्मल साबित करने के लिए हमें आर्थिक विकास के कुछ और अधिक प्रयास करने ही होंगे। प्रति व्यक्ति आय के मामले में हमें नीतियां बनाकर काम करना होगा। आय की असमानता को दूर करने के लिए भी व्यापक और कुछ कड़े कदम उठाने होंगे।

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