सरकार को विश्व भर में भारतीय संस्कृति विचारधारा चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ अचंभित करने वाली भौगोलिक बनावट देश की सुंदरता को प्रमुखता से फैलाने का प्रयास करना चाहिए। — शिवनंदन लाल
सेहतमंद पर्यटन मुहैया कराने की दृष्टि से दुनिया में भारत को अव्वल स्थान प्राप्त है। भारत जैसे विरासत के धनी राष्ट्र के लिए यहां के पुरातात्विक धरोहर केवल दार्शनिक स्थल भर नहीं है, बल्कि राजस्व प्राप्ति का स्रोत तथा अनेक लोगों को रोजगार मुहैया कराने का माध्यम भी है।
27 सितंबर को हर साल विश्व पर्यटन दिवस के रूप में मनाया जाता है। हाल ही में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा राज्य के पर्यटन मंत्रियों के साथ एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान पर्यटन को बढ़ाने के लिए व्यापक विचार-विमर्श किया गया। इस सम्मेलन में 19 राज्यों के पर्यटन मंत्रियों, पर्यटन सचिवों और राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया तथा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श किया। देश के प्राकृतिक, ऐतिहासिक, पौराणिक, भौगोलिक विविधता वाले प्रदेशों ने पर्यटन के जरिए देश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए रणनीति तैयार की है। इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत आज विभिन्न श्रेणी के पर्यटन के लिए दुनिया में आकर्षण का केंद्र बन गया है। चिकित्सा, पर्यटन, साहसिक पर्यटन, ग्रामीण पर्यटन और पारिस्थितिकी पर्यटन के लिए यात्री सहज भाव से भारत को वरीयता दे रहे हैं। भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी तक और अरुणाचल से गुजरात तक के प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशिष्टता और संस्कृति है। यह क्षेत्र अपनी भौगोलिक बनावट, जिसमें ठंडा, गर्म, रेगिस्तान, गंगा, ब्रह्मपुत्र जैसी नदियां विशाल वन क्षेत्र, अंडमान निकोबार जैसे दीप समूह, विभिन्न पर्वत और पठार पर्यटकों को बरबस ललचाते हैं। धार्मिक रूप से समृद्ध होने के कारण भी बड़ी संख्या में दक्षिण पूर्व और पूर्वी एशिया के लोग यहां आते रहे हैं।
वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल की रिपोर्ट में भारत को पर्यटन के मामले में तीसरा स्थान हासिल है। इस रिपोर्ट में 185 देशों के पिछले 7 वर्षों का प्रदर्शन सकल घरेलू उत्पाद में कुल योगदान अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन खर्च, घरेलू पर्यटन खर्च एवं पूंजी निवेश के मांगों को आधार बनाकर निष्कर्ष निकाला गया है। महामारी से पहले भारत प्रतिवर्ष लगभग 25 अरब डालर का राजस्व अर्जित करता रहा, जिसे 2025 तक 120 अरब डालर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। यह फ्रांस और स्पेन जैसे देशों की तुलना में बहुत अधिक है।
केंद्र की सरकार समावेशी विकास के लिए पर्यटन को उर्वर क्षेत्र मानकर अपनी नीतियां विकसित की हैं। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय इसे आगे बढ़ाने में जुटा हुआ है। हाल ही में डेनमार्क के दौरे पर गए प्रधानमंत्री ने वहां के सभी भारतीय लोगों से पांच गैर भारतीय लोगों को भारत आने के लिए प्रेरित करने का आह्वान किया है। ‘चलो इंडिया’ का नारा देते हुए उन्होंने कहा कि सभी भारतीय राष्ट्रदूत अगर इस काम में लग जाए तो बाहर के लोगों को भारत को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। हालांकि भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पहले से ही मुकम्मल तैयारियां की गई है। पर्यटन और संस्कृति मंत्रालयों के लिए बजट आवंटन भी लगातार बढ़ता रहा है। बीच में कोरोना महामारी के दौरान बहुत से उतार चढ़ाव आए, पर्यटन की रफ्तार थम सी गई थी। लाखों की संख्या में लोग बेरोजगार भी हुए, पर अनलॉक के बाद पर्यटन ने फिर से गति पकड़ ली है। वित्त वर्ष 2020 में भारत में 39 मिलियन नौकरियां पर्यटन पर आधारित थी, जो देश में कुल रोजगार का लगभग 8 प्रतिशत था। 2029 तक इसके 53 मिलियन तक होने की उम्मीद है। वर्ष 2021 में भारत में कुल 856337 पर्यटक भारत भ्रमण के लिए आए थे।
कोविड के बाद केंद्र सरकार ने विभिन्न पहलुओं के माध्यम से घरेलू पर्यटन को भी गति देने का प्रयास किया है। केंद्र सरकार ने ‘देखां अपना देश’ की शुरुआत की है, जिसके तहत विभिन्न प्रचार, गतिविधियों जैसे वेबीनार, ऑनलाइन प्रतिज्ञा, प्रश्नोत्तरी से कार्यक्रमों के जरिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है ताकि घरेलू पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा सके। भारत एक साल के लिए जी-20 की अध्यक्षता करने जा रहा है। अध्यक्षता का यह समय आगामी 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक चलेगा। इस दौरान देश के लगभग 55 शहरों में जी-20 से जुड़ी लगभग 215 बैठकें और अन्य आयोजन प्रस्तावित हैं। सरकार भारत को मिली इस अध्यक्षता को विदेशी पर्यटन के लिहाज से बेहतर मौके की तरह देख रही है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय का मानना है कि भारतीय पर्यटन को विश्व मंच पर पेश करने का यह सुनहरा मौका है। केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से भी कहा है कि वे अपने यहां के पर्यटन उत्पादों और डेस्टिनेशंस को इस तरह तैयार करें कि यहां आने वाले मेहमान उनसे प्रभावित और आकर्षित हो। अध्यक्षता के बहाने मिले मौके पर सरकार अपने देश की ऐसी पारंपरिक चीजों के पहलुओं को दिखाना चाहती है जो अपने आपमें अनूठी हो। मालूम हो कि जी-20 से जुड़े आयोजनों में चार आयोजन पूरी तरह से पर्यटन आधारित होंगे। यह चारों कार्यक्रम गुजरात के कच्छ, पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी, जम्मू कश्मीर और गोवा में किए जाएंगे। सरकार ने तय किया है कि इन सभी पर्यटक स्थलों पर प्रमुखता से भारत की आन, बान, शान तिरंगा को भी लहराया जाएगा।
वैश्विक स्तर पर पर्यटन एक बड़ा उद्योग है। यह कई क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित करता है तथा अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद करता है। आंकड़े की बात करें तो पर्यटन क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर लगभग 5 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। सरकार की तरफ से जारी एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 के दौरान भारत को ट्रैवल एंड टूरिज्म क्षेत्र में 10 लाख नई नौकरियां मिलने का अनुमान है। पर्यटन उद्योग में निरंतर आ रहे उछाल से इस क्षेत्र में प्रगति है। पर्यटन से भारत में महिलाओं के लिए भी रोजगार के अवसरों की खिड़की खुली है। वैश्विक स्तर पर भारत में अन्य क्षेत्रों के मुकाबले पर्यटन क्षेत्र में दोगुना से अधिक महिलाएं कार्यरत है। इस दृष्टि से पर्यटन क्षेत्र महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ समानता और सामाजिक न्याय का भी माध्यम बना है। आज भारत का प्रयोग अपने पारंपरिक डायरो से निकलकर चिकित्सा और योगा जैसे क्षेत्रों में फैल रहा है, इसलिए यहां अवसर भी बढ़ रहे हैं।
सरकार ने इसे और अधिक गति देने की गरज से पर्यटन सर्किट के विकास से स्वदेश दर्शन योजना, विरासत स्थलों के विकास हेतु हृदय योजना तथा धार्मिक स्थलों के लिए प्रसाद योजना शुरू की है। पर्यटन स्थलों पर रोपवे के निर्माण तथा रेलवे स्टेशनों लॉजिस्टिक पार्क के आसपास विकास की गति तेज कर दी है। विदेशी पर्यटकों के आगमन को सरल बनाने के लिए 166 देशों के लिए वीजा की शुरुआत हुई है। आगे इसके शुल्क में कमी लाने का भी प्रस्ताव है। अपनी विरासत के प्रति लगाव विस्तृत करने के लिए ‘धरोहर गोद लो योजना’ तथा विदेशों में भारतीय धरोहरों को लोकप्रिय बनाने के लिए ‘देखो अपना देश’ नाम से पर्यटन पर्व का अनुष्ठान तथा राज्यों के विशेष स्थलों में पर्यटन समारोह पर्यटन सभी के लिए का आयोजन किया जा रहा है। सरकार ने अतुल्य भारत का नया पोर्टल लांच कर सभी आवश्यक जानकारियों को सुलभ कराया है। मध्य प्रदेश के सांची स्तूप, उत्तर प्रदेश के सारनाथ और बिहार के बोध गया जैसे स्थलों पर बुनियादी सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। रात्रि कालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए संस्कृति मंत्रालय ने देश के 10 ऐतिहासिक स्मारकों को आगंतुकों के लिए रात में 9ः00 बजे तक खुला रखने का निर्णय लिया है। वहीं गृह मंत्रालय में 137 चोटियों को विदेशी पर्यटकों के लिए खोलने का निर्णय किया है।
भारत सरकार द्वारा पर्यटकों की सुविधा के लिए किए जा रहे प्रयासों के बावजूद पर्यटन प्रणाली के समक्ष कई चुनौतियां अभी नहीं बनी हुई है। वैश्विक मानकों के अनुसार बुनियादी ढांचा का अभाव पर्यटन के राह में बड़ा रोड़ा है। कम बजट आवंटन के कारण आर्थिक व सामाजिक और संरचना की रफ्तार भी धीरे है। सफल स्वच्छ भारत अभियान के बाद भी देश में यत्र-तत्र फैली गंदगी से पार पाना अभी भी बाकी है। सुरक्षा सर्वेक्षण में भी भारत का स्थान दुनिया के मानकों पर बहुत नीचे है। स्वास्थ, योगा, प्राकृतिक चिकित्सा, साहसिक पर्यटन में अपार संभावना है, पर इसमें सरकार अभी अपेक्षित निवेश नहीं कर पा रही है।
ऐसे में ‘अतुल्य भारत’ और ‘अतिथि देवो भव’ की उदास भावना के साथ अधिक से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उड़ान योजना का विस्तार हो तथा सभी राज्यों को पुरातत्व सर्वेक्षण की सहायता से अपने धरोहर स्थलों के लिए यूनेस्को के मानकों को ध्यान में रखकर प्रस्ताव तैयार करना चाहिए। सरकार को विश्व भर में भारतीय संस्कृति विचारधारा चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ अचंभित करने वाली भौगोलिक बनावट देश की सुंदरता को प्रमुखता से फैलाने का प्रयास करना चाहिए।