स्वदेषी जागरण मंच की दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक दिनांक 5-6 जून 2021 को तरंग माध्यम से संपन्न हुई। चार सत्रों में आयोजित इस राष्ट्रीय बैठक का शुभारंभ 5 जून शनिवार सायं 5ः30 बजे हुआ। इस बैठक में अ.भा. संयोजक श्री आर. सुंदरम व केंद्रीय अधिकारियों के अतिरिक्त क्षेत्र-प्रांत के संयोजक, संगठक व नवनियुक्त राष्ट्रीय परिषद सदस्यों सहित 264 कार्यकर्ताओं ने सहभाग किया। विविध क्षेत्रों के कार्यकर्ता भी इसमें सम्मिलित हुए।
प्रथम सत्रः 5 जून सायं 5ः30 से 7ः00
प्रथम सत्र में मंच का संचालन करते हुए अ.भा. सहसंयोजक श्री अजय पत्की ने इस बैठक की प्रस्तावना भी रखी व स्वदेषी जागरण मंच की गत गतिविधियों की चर्चा भी की। कोरोना के कारण से जो अपने कार्यकर्ता या देष के बंधु-भगिनी दिवंगत हुए, ऐसे सब लोगों के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करने के लिए आधे मिनट का मौन भी रखा गया।
इस सत्र में केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र, तेलंगाना का वृत्त आया। क्षेत्र संयोजक श्री मंजूनाथ ने बताया कि वहां इस दौरान संपूर्ण क्षेत्रों में कार्यकर्ता न केवल रोगियों की सेवा में रत रहे, बल्कि चल रहे हस्ताक्षर अभियान में भी दिन रात लगे हुए हैं। इसी प्रकार पष्चिम, मध्य, राजस्थान व उत्तर क्षेत्र के प्रांतों का भी गत मार्च से हुई गतिविधियों का कार्यवृत्त प्रस्तुत किया गया, जो अत्यंत प्रेरक था। सबने यूनिवर्सल एक्सेस टू वैक्सीन एंड मेडिसन अभियान की विषेष रूप से चर्चा की।
इसके पष्चात मंच के अ.भा. प्रचार प्रमुख श्री दीपक शर्मा ‘प्रदीप’ ने भूमि सुपोषण अभियान के अंतर्गत, संपूर्ण देष में स्वदेषी जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने इसके लिए कैसा परिश्रम किया और उसको समाज का कैसा उत्तम प्रतिसाद मिला, इस विषय में बताया। कर्नाटक के संगठक श्री के. जगदीष ने आयुर्वेद व स्थानीय चिकित्सा पद्धतियों से बेंगलुरु के डॉ. गिरिधर काजे द्वारा कोरोना के उपचार की जानकारी देते हुए बताया कि 7 लाख से अधिक लोगों ने यह आयुर्वेदिक दवा ली है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बलदेव ने भी इस विषय में सहयोग किया। इसी सत्र में डॉ. राजकुमार चतुर्वेदी ने भीलवाड़ा जिले के डिजिटल हस्ताक्षर अभियान के सफल प्रयोगों को भी सबके साथ साझा किया। दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर व स्वदेषी शोध संस्थान के प्रभारी डा. विजय कौल ने भारत को विश्व में चिकित्सकीय आधारभूत संरचना में विश्व का नेतृत्व करने वाला एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया। भारत कैसे कम लागत में उच्च गुणवत्ता युक्त औषधियों के निर्यात का वैश्विक केंद्र बन सकता है, इस विषय की चर्चा भी की। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति और स्वदेषी जागरण मंच के केंद्रीय अधिकारी प्रोफेसर भगवती प्रकाष शर्मा ने पेटेंट फ्री वैक्सीन की प्रक्रिया और औषधियों की आवष्यकता और उत्पादन को सर्वसुलभता बनाने वाला प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस हेतु उन्होंने चर्चा करते हुए कहा कि हमें नवाचार, उत्पादन क्षमता बढ़ाना और विश्व की आवष्यकताओं को देखते हुए योजना करनी होगी। उन्होंने कहा कि “पेटेंट करने वाली कंपनियों के मुनाफे से कहीं अधिक आवष्यक है लोगों की जीवन रक्षा, जो उनका मौलिक अधिकार है।“
द्वितीय सत्रः 5 जून सायं 7ः00 बजे
द्वितीय सत्र का संचालन अखिल भारतीय सहसंयोजक डॉ धनपतराम अग्रवाल द्वारा किया गया। चार क्षेत्रों- पष्चिमी उत्तर प्रदेष, पूर्वी उत्तर प्रदेष, बिहार व पूर्वी क्षेत्र का वृत्त प्रस्तुत हुआ और वहां गत दिनों हुए स्वदेषी मेला, वेबीनार, भूमि सुपोषण, महिलाओं के कार्यक्रम की अच्छी जानकारी दी गई। अ.भा. संघर्षवाहिनी प्रमुख श्री अन्नदा शंकर पाणिग्रही ने पूर्वोत्तर में स्वदेषी कार्य प्रगति की विस्तार से जानकारी दी। इसी सत्र में पूर्वी उत्तर प्रदेष क्षेत्र संगठक श्री अजय उपाध्याय ने पंडित दीनदयाल अनुसंधान एवं आरोग्य केंद्र द्वारा प्रषिक्षण, दोना पत्तल उत्पादन की निषुल्क मषीन आदि देने व स्वरोजगार पर चल रहे प्रयोगों के बारे में बताया।
मंच के अ.भा. सहसंयोजक डॉ अष्वनी महाजन ने कोरोना के प्रारंभ को लेकर विश्व में इस समय चल रही चिंताओं और चर्चाओं के बारे में बताया और कहा कि चीन की संदेहास्पद भूमिका का विवेचन अब भारत से लेकर अमेरिका तक में हो रहा है। उन्होंने बताया कि चीन के वुहान स्थित लैब में इसके उद्भव और वहां से लीक होने के पुष्ट प्रमाण विश्व भर में मिल रहे हैं।
तीसरा सत्र 6 जून प्रातः 9ः30
इस सत्र का संचालन दक्षिण मध्य क्षेत्र के श्री मंजूनाथ ने किया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति व उत्तर क्षेत्र सह संयोजक प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने वैश्विक वेबीनार व भारत में उच्च षिक्षा संस्थान द्वारा अब तक 2120 प्रबुद्धजनों के हस्ताक्षर के विषय में बताया। जॉइन स्वदेषी डॉट कॉम के बारे में भी उन्होंने जानकारी दी। हार्वर्ड विश्वविद्यालय अमेरिका, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय और हरियाणा उच्च षिक्षा कौन्सिल के सम्मिलित प्रयासों से हुए वैश्विक वेबीनार की सब तरफ चर्चा हुई ही है। जिसमें अमेरिका के सीनेटर व हारवर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डीन नरेंद्र रूस्तगी उपस्थित थे। इसी प्रकार भारत में हुए एक बड़े वेबीनार की जानकारी भी वहां मिली, जिसमें स्वामी ज्ञनानन्द जी महाराज, नितिन गडकरी जी व केंद्रीय राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया जी का मार्गदर्षन भी मिला। भारत में अभी तक 7.5 लाख लोगों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसी सत्र में सी.ए. बलराम नंदवानी ने स्वदेषी शोध संस्थान व निधि संचय की जानकारी भी दी। उन्होंने बताया कि इस भवन का भूमि पूजन संघ के सरकार्यवाह माननीय दत्तात्रेय होसबोले जी के द्वारा संपन्न हुआ और यह जल्दी ही आकार लेगा।
मंच के अखिल भारतीय संयोजक श्री आर. सुंदरम ने कोविड-19 के बाद की आर्थिक पुनर्रचना विषय पर प्रस्ताव रखा। रोजगार उत्पादन के नए अवसर के लिए सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी और इस विषय पर हमारा दृष्टिकोण क्या है, यह भी प्रस्ताव में रखा। इसी प्रकार दक्षिण विचार विभाग प्रमुख डॉ. लिंगामूर्ति ने कोरोना पष्चात अर्थव्यवस्था और रोजगार के प्रस्ताव पर बात करते हुए कहा की धार्मिक पर्यटन, स्वरोजगार के लघु माध्यमों से ग्रामीण क्षेत्र में भी बहुत रोजगार की वृद्धि होती है। इसी सत्र में ही अ.भा. सह संयोजक श्री अरुण ओझा ने डंकल प्रस्ताव, उरूग्वे राउंड तथा विश्व के प्रमुख तीनों आर्थिक संगठनों की भूमिका की विवेचना की। डॉ. अष्वनी महाजन ने नाटको कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री राजीव नन्नापानीनी का परिचय कराया। जिन्होंने सबसे पहले भारत में कंपलसरी लाइसेंस प्राप्त कर लीवर के कैंसर की दवाई को मात्र 10 प्रतिषत मूल्य पर भारत और विश्व को उपलब्ध करवाया था। वह इस बैठक में मुख्य अतिथि के तौर पर आए थे। उन्होंने मल्टीनेषनल फार्मा कंपनियों द्वारा 20 साल की पेटेंट अवधि के बाद भी इसको 30-40 साल तक बढ़ाए जाने के विचार की आलोचना की। और कहा कि विश्व को सस्ती, सुलभ चिकित्सा व्यवस्था देनी है तो इस पेटेंट के समय को कम ही करना होगा।
इसके पष्चात श्री अजय पत्की ने प्रोफेसर भगवती प्रकाष शर्मा व श्री सतीष कुमार द्वारा लिखित पुस्तक “वैश्विक महामारी कोरोना, चुनौती व समाधान“ के बारे में जानकारी दी और कहा कि यह अन्य भाषाओं में भी अनुवादित होकर शीघ्र सबको उपलब्ध होगी। सत्र के समापन में श्री सतीष कुमार ने पेटेंट फ्री वेक्सीन अभियान के उद्देष्य व वैश्विक दृष्य के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि विश्व भर में 20 लाख से अधिक लोगों ने और 200 नोबेल पुरस्कार प्राप्तकर्ता व पूर्व राष्ट्राध्यक्ष ने इसकी मांग की है। डब्ल्यूएचओ के मुखिया से लेकर दुनिया के 120 देषों के राष्ट्राध्यक्ष अब इस मांग के समर्थन में आ गए हैं। यूरोपियन यूनियन व जापान चीन तक का भी समर्थन मिल रहा है। यह सत्य पर आधारित अभियान है जिसे सफल होना ही है।
चौथा सत्र 6 जून प्रातः काल 11ः30 बजे
इस समापन सत्र का संचालन अ.भा. विचार विभाग प्रमुख प्रो. राजकुमार मित्तल (वीसी) ने किया। इस सत्र में पद्मश्री डॉ रजनी कांत द्विवेदी ने भौगोलिक संकेतक (ज्योग्राफिकल इंडिकेषन) टैग की जानकारी दी। उन्होंने स्वयं भी 53 उत्पादों को जीआई टैग दिलवाया है। और काषी में ही 9 जनपदों के 20 लाख बुनकरों के (इसकी सहायता से) कारोबार में 32 प्रतिषत तक की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि भारत में केवल 370 जीआई टैग पंजीकृत हुए हैं। जबकि चीन में 9000 व अमेरिका में 4000 हैं। हमें इस दृष्टि से बहुत प्रयत्न करने चाहिए।
इसके पष्चात अखिल भारतीय महिला प्रमुख बहन अमिता पत्की ने तिलक जी के प्रसंग के माध्यम से हस्ताक्षर अभियान में नारी शक्ति की भूमिका को सबके सामने रखा। मंच के राष्ट्रीय संगठक श्री कष्मीरी लाल ने आगामी योजनाओं का खाका सबके सामने प्रस्तुत किया। जिसके अंतर्गत -
1. 12 जून सायं से 13 जून सायंकाल तक एक दिवसीय विषेष हस्ताक्षर अभियान सब कार्यकर्ता, परिवार सहित चलाएं।
2. 14 जून को UAVM विषय की एक अंतरराष्ट्रीय प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जाएगा।
3. 20 जून को भारत के सभी 739 जिलों व विश्व के सभी देषों में विश्व जागृति दिवस मनाया जाएगा और पेटेंट फ्री वैक्सीन की मांग को सर्वदूर समर्थन दिलवाया जाएगा।
4. लाकडाउन के बाद स्वदेषी शोध संस्थान के लिए धन संग्रह पुनः शुरू करना है।
5. जुलाई व अगस्त माह में प्रांत अनुसार विचार वर्ग करने हैं।
राष्ट्रीय परिषद बैठक का समारोप करते हुए संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य श्री भगैय्या जी ने सभी कार्यकर्ताओं को हस्ताक्षर अभियान में पूरी शक्ति से जुटने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि स्वदेषी जागरण मंच ने न केवल सेवा कार्य किये, बल्कि विविध संगठनों, बुद्धिजीवियों, अन्य सामाजिक संगठनों का सहयोग लेते हुए यह अभियान भी चलाया है। उन्होंने आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण व चिकित्सा प्रणाली का भी समर्थन किया। कार्यकर्ता निर्माण पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता को मुंह में शक्कर, पैर में चक्कर, हृदय में आग रखकर काम करना चाहिए। यह काम हम संपूर्ण मानवता के लिए कर रहे हैं, सब संगठनों का इसमें सहयोग मिलेगा।
अंत में राष्ट्रीय संयोजक श्री सुंदरम जी ने नवीन घोषणाएं करते हुए नई बनी राष्ट्रीय परिषद की जानकारी भी दी और उन्होंने विश्वास प्रकट किया कि न केवल हम कोरोना की बीमारी से बहुत अच्छे ढंग से निकलेंगे, बल्कि हम अपनी अर्थव्यवस्था व रोजगार को भी अच्छी तरह संभाल लेंगे। उन्होंने अगले 6 वर्षों में लेस चाइना से चाइना लेस ईकोनोमी का विचार भी प्रस्तुत किया। डॉक्टर राजकुमार मित्तल ने सबका धन्यवाद किया और वंदेमातरम के सस्वर पाठ के साथ परिषद की यह बैठक संपन्न हुई।