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व्यवसाय-उद्योग करने की सुगमता होना जरूरी 

शासन व्यवस्था के साथ-साथ राजकीय क्षेत्रा में भी कुछ सुधार जरूरी है, जिससे नीतिवान और राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर राजनीति करने वालों को राजनीति में लाया जा सके। आशा की जाती है कि इस क्षेत्रा में भी जल्दी ही सरकार सुधार लाएगी। — अनिल जावलेकर

 

हाल ही में प्रधानमंत्री ने नीति आयोग की गवार्निंग काउंसिल को संबोधित करते समय नागरिकों का जीवन सुसह्य बनाने एवं उनको व्यवसाय-उद्योग सुगमता से करने की बातों पर ज़ोर दिया। वैसे तो यह इच्छा हर भारतीय के मन में स्वतंत्रता के समय से ही रही है। लेकिन भारतीयों का नसीब हमेशा से इस विषय में कमजोर रहा है। वैदिक काल तथा राम राज्य का काल छोड़कर शायद ही भारतीय कभी चैन से सोया होगा। बाहरी आक्रमण और गुलामगिरी की वजह से ज़्यादातर समय भारतीय लूटता और पीटता ही रहा है। स्वतंत्रता के बाद यह आशा बंधी थी कि अब ठीक होगा, लेकिन जिस तरह से नागरिकों को अपना शासित समझने वाले अंग्रेजों की शासन व्यवस्था कायम रखी गई, उससे सारी आशाएँ धूल में मिल गई। इसलिए प्रधानमंत्री की इसे बदलने की बात अच्छी लगती है। अच्छा यह भी है कि सरकार इसके बारे में सोच रही है और व्यवस्था बदलने की कोशिश कर रही है। 

शासन करने वाली व्यवस्था बदलनी जरूरी 

शासन व्यवस्था की खास बात यह है कि वह हर नागरिक और उसकी गतिविधियों को कायदे-कानून या फिर राजस्व की नजर से देखती है। इसलिए उसको पूरा नियंत्रण में रखने की कोशिश करती रहती है। यह बात सही है कि स्वतंत्रता के बाद संसाधनों की कमी के कारण लाइसेंस और परमिट राज की जरूरत थी। लेकिन हालात ठीक होने पर इसमें बदलाव होने चाहिये थे। लेकिन राजकर्ताओं को और शासनाधिकारियो को राज करने की आदत लग चुकी थी और भ्रष्टाचार इस व्यवस्था का अभिन्न अंग बन चुका था। इसलिए शायद बदल करने के लिए कोई उत्सुक नहीं था। जब अर्थव्यवस्था डूबने लगी और हालात बिगड़ गए, तब जबरदस्ती 1990 के सुधार लाने पड़े और खुली व्यवस्था करनी पड़ी। यह करते हुए भी मजबूरी से बदलाव किए गए, इसलिए परिणाम दिखाई नहीं दिया। अब सरकार खुले मन से शासन को बदलती दिखाई दे रही है और उसका स्वागत होना चाहिए। 

बदलती शासन व्यवस्था 

भाजपा सरकार जब से सत्ता में आई है, तबसे शासन में बदलाव दिखाई पड़ रहा है। 

1.    सबसे पहले इस सरकार ने ऐसे कानूनों को रद्द करना शुरू किया जो अपने अस्तित्व का कारण ही खो चुके थे। लेकिन मानस पटल में रहने से कुछ वकील इसका संदर्भ देकर कानून को भ्रमित करने की कोशिश करते थे। सरकार ने लगभग 1500 ऐसे कानून रद्द किए है और यह बात सराहनीय कही जाएगी। 

2. दूसरी बात, सरकार ने यह स्पष्ट किया कि व्यवसाय करना सरकार का काम नहीं है। स्ट्रेटजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण उद्योगों को छोड़कर बाकी सभी सरकारी उद्योगों का निजीकरण करने की बात की गई है। 

3. यह सभी जानते है कि उत्पादन क्षेत्र का  (मैन्यूफैक्चरिंग) सकल उत्पाद में हिस्सा कम हो रहा है। अभी 15 प्रतिशत के आसपास है। सरकार 2024 तक इसे 25 प्रतिशत बढ़ाना चाहती है। यह क्षेत्र रोजगार दिलाने और आत्मनिर्भरता मे विशेष महत्व रखता है। सरकार ऐसे 25 क्षेत्र के उद्योगों के लिए भारत निर्माण योजना अमल में लायी है, जिसके तहत इन उद्योगों को शुरू करने में आ रही मुश्किलों को कम करने की कोशिश है। 

4. जीएसटी का अमल एक महत्वपूर्ण कदम माना जाएगा। कुछ करों को कम करने की कोशिश और अनुपालन में आसानी इसकी विशेषता मानी जाती है। सरकार ने लगभग सभी प्रकार के कर संरचना में सुधार किए है, जिसमें आय कर भी शामिल है। नागरिक अब आसानी से कर व्यवस्था का अनुपालन कर सकता है। इस विषय से उत्पन्न सभी वाद-विवाद आसानी से मिट सके, ऐसी व्यवस्था अपनाई जा रही है, जिससे नागरिकों की परेशानी कम होगी। 

5. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और कस्टम की तरफ से पोर्ट-पे वस्तुओं का आवागमन आसान करने की कोशिश हो रही है। अब बंदरगाहों पर कंटेनर को कम वक्त और कम प्रोसीजर से गुजरना पड़ेगा, जिससे नुकसान कम होगा। 

6. कंपनी आसानी से शुरू की जा सके इसके लिए पंजीकरण के लिए  आवश्यक पूंजी में भी 15 लाख रूपये की छूट दी गई है। अब शायद ही ऐसा कोई काम होता है जहां कंपनी के अधिकारी को किसी सरकारी दफ्तर में जाना पड़ता हो। बहुत सारे काम ऑनलाइन हो चुके है। यह बहुत आवश्यक था। 

7. केंद्र सरकार अकेले सब कुछ नहीं कर सकती, इसलिए राज्य सरकारों को भी इस व्यवस्था में शामिल किया गया है और उनको भी कहा गया है कि वे भी अपने शासन व्यवस्था में सुधार लाये ताकि किसी को व्यवसाय, उद्योग शुरू करने और चलाने में कोई अड़चन नहीं आए। इसलिए राज्यों को रैंकिंग दी जा रही है जिससे उद्योगों को कहां क्या सहूलियत है, इसका पता चले। 

8. तकनीकी विकास की सबसे बड़ी उपलब्धि नागरिकों को यह मिली है कि सरकार ई-गवर्नेन्स की कल्पना अमल में ला सकी है। आजकल सारी सरकारी सेवाएँ ऑनलाइन मिल रही है। आधार कार्ड की वजह से पहचान में गड़बड़ी होने की संभावना कम हुई है और लाभ सही व्यक्ति को मिल रहा है। उमंग जैसे मोबाइल एप्लीकेशन के द्वारा नागरिकों को सही जानकारी और सेवाएँ मिल जाती है, जिसमें जीवन प्रमाण पत्र मिलने जैसी भी सुविधा शामिल है। 

9. तकनीकी विकास ने और एक बात आसान की है, वह है पैसों का व्यवहार। आज घर बैठे पैसे के व्यवहार हो रहे है। किसी काम के लिए बैंक की शाखा में जाने की जरूरत नहीं है। इससे भी नागरिकों को सहूलियत हुई है। 

10. आजकल सोशल मीडिया प्रधान हो गया है। लेकिन इसमें कुछ लोग गलत और झूठ भी फैला रहे है। इसलिए हाल ही में सरकार ने नए नियम बनाए है जिससे इस मीडिया का उपयोग सही ढंग से हो सके और नागरिक अपनी बात रख सके। जिसका फायदा सरकार को सुधार में भी हो। 

सुधारों का परिणाम अच्छा निकाल रहा है

सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का असर दिखने लगा है। जागतिक बैंक के 2020 के व्यवसाय सुगमता निर्देशांक रिपोर्ट के अनुसार 190 देशों में भारत का क्रमांक 63 हुआ है। इसे सरकार के उठाए गए कदमों का नतीजा कह सकते है। व्यवसाय या उद्योग शुरू करना सुलभ हो इसलिए  रेगुलेटरी एनवायरनमेंट के सुधार मुख्य है। व्यवसाय शुरू करने में आ रही मुश्किलों को कम करना, उनको कर्ज आसानी से मिले, कर संरचना स्पष्ट और पारदर्शी हो, व्यापार खुला हो और करारों का अमल ठीक ढंग से हो, ऐसे सुधार इसमें जरूरी है। शासन व्यवस्था संपत्ति निर्माण में लगे लोगों को शक की नजर से न देखकर, उनके संपत्ति निर्माण में सहायक की भूमिका निभाये, यह जरूरी है और इसी बात पर सुधारों का ज़ोर भी है। 

और सुधार भी जरूरी

सुधार एक सतत् चलने वाली प्रक्रिया है और नए-नए क्षेत्र में इसकी जरूरत होती है। गुनहगार चुनाव में भाग न ले इसके लिए चुनाव में सुधार जरूरी है और सामान्य नागरिक को तकलीफ हुये बिना कानून व्यवस्था अच्छी रहे इसके लिए पुलिस में सुधार जरूरी है। शासन व्यवस्था के साथ-साथ राजकीय क्षेत्र में भी कुछ सुधार जरूरी है, जिससे नीतिवान और राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर राजनीति करने वालों को राजनीति में लाया जा सके। आशा की जाती है कि इस क्षेत्र में भी जल्दी ही सरकार सुधार लाएगी।      

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