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स्कूल तो बंद है, पर पढ़ाई चालू आहे...

ग्रामीण इलाकों में भी अब ऑनलाईन पढ़ाई धीरे-धीरे शुरू हो चुकी है। जिसमें गुणात्मक सुधार के संकेत मिल रहे है। गरीब हितैषी राजग सरकार शिक्षा के मोर्चे पर प्रभावी कदम उठा रही है तथा सरकार ने सभी वर्ग के लोगों तक शिक्षा पहुंचाने का आश्वासन दिया है। — वैदेही तिवारी

‘समये हि सर्वमुपकारि कृतम’, यानी समय पर शुरू कर दिया गया कार्य आगे चलकर सभी के लिए उपकारक होता है। ‘शिशुपाल वधम’ में महाकवि माघ द्वारा की कही गई युक्ति केंद्र की राजग सरकार द्वारा पूर्व में शुरू किए गए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम पर पूरी तरह चरितार्थ होती दिख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2014 में दिल्ली की सत्ता संभालने के साथ ढेर सारी नई-नई योजनाओं का शुभारंभ किया था। इस क्रम में 7 अक्टूबर 2014 को हुई केबिनेट की बैठक में ‘डिजिटल इंडिया‘ के प्रारूप पर सहमति बनी थी, जिसे 2015 में विधिवत शुभारंभ किया गया। तब विरोधी दल सहित तमाम संगठनों ने यह कहकर चुटकी ली थी कि जिस देश में अभी 100 प्रतिशत बिजली नहीं है, वहां डिजिटल इंडिया का कोई मायने नहीं। लेकिन सरकार की दूरदृष्टि का ही नतीजा है कि इस करोना काल में जब पिछले कई महीनों से देश के सारे स्कूल कॉलेज-बंद हैं फिर भी पढ़ाई चालू है। 

गुणी लोगों का मानना है कि हर अच्छे काम में विघ्न बाधाएं आती हैं। मीन-मेख निकालने वाले भी सक्रिय हो जाते हैं। मालूम हो कि तीन दशक पहले जब देश में कंप्यूटर का प्रचलन बढ़ रहा था, तब भी देश में कंप्यूटर प्रणाली का विरोध करने वालों की बाढ़ सी आ गई थी। कंप्यूटर को मानव विरोधी भूत की तरह प्रस्तुत किया जा रहा था। बदली हुई परिस्थितियों में आज पूरा समाज कंप्यूटर पर आश्रित है। ठीक इसी तर्ज पर आज से इतने साल पहले फला तारीख को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का शुभारंभ कर रहे थे तो देश में डिजिटल इंडिया के विरोध में खड़े लोगों ने अनेकों तरह के प्रश्न किए। नोटबंदी के बाद जिस तरह से कैशलेस इकोनॉमी का देश में विस्तार हुआ। दूर-दराज तक के गांव में वाईफाई का नेटवर्क पहुंचाया गया। पहले की तुलना में हर तरह की कनेक्टिविटी को सुगम किया गया और सबसे बड़ी बात यह कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के दौरान जबकि दुनिया के साथ-साथ देश के भी सारे स्कूल-कॉलेज पूरी तरह से बंद हैं, ऐसे में विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा से जोड़ा गया है। शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए सरकार ने स्कूल-कॉलेज बंद होने के बावजूद पढ़ाई चालू रखने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है।

शिक्षा का अर्थ है सर्वांगीण विकास, यह जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हर व्यक्ति को यह अधिकार है कि वह अच्छी शिक्षा ग्रहण करें, ताकि समाज में सीखने-सिखाने की प्रक्रिया अनंत काल तक चलती रहे। आज महामारी के समय में परिस्थितियां सामान्य नहीं है। निरंतर लोगों में अस्वस्थ होने का भय है। ऐसे में शिक्षा केंद्रों का बंद होना लाजमी है। अगर आज किसी ने विद्यालय और कॉलेजों का स्थान लिया है तो वह है-ऑनलाइन शिक्षा। आज दुनिया के सारे देशों के बच्चे ऑनलाइन शिक्षा का उपयोग करके आसानी से पढ़ाई कर पा रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षा में अध्यापक दुनिया के किसी भी कोने से अपने विद्यार्थियों से जूम वीडियो कांफ्रेंसिंग, गूगल मीट आदि एप के द्वारा जुड़ सकते हैं एवं जिस प्रकार अध्यापक कक्षा में पढ़ाते हैं वैसे ही ऑनलाइन पढ़ाया जा सकता है, और पढ़ाया जा रहा है, और विद्यार्थी अध्यापक से पढ़ रहे हैं। आज महामारी में जहां पूरी दुनिया का कैलेंडर अस्त-व्यस्त है, वैसे में सबसे ज्यादा हानि की आशंका विद्यार्थियों के लिए थी। क्योंकि उनकी शिक्षा लॉकडाऊन के कारण बंद होने की कगार पर थी। किंतु ऑनलाइन शिक्षा के होने से यह हानि और नहीं उठानी पड़ी और न ही विद्यार्थियों का साल बर्बाद होने की नौबत आयेगी। बेशक ऑनलाइन शिक्षा में स्कूल और कॉलेज की कक्षाओं जैसा अनुभव नहीं हो सकता, न ही वह उतना प्रभावी होगा, किंतु आज हम सब ऐसे समय में हैं जहां लाखों जिंदगियां दांव पर लगी है, वायरस का खतरा हर तरफ मौजूद है, ऐसे में देह की दूरी बनाते हुए और घर पर रहकर बच्चे ऑनलाइन शिक्षा के विकल्प से अपनी पढ़ाई पूरी कर पा रहे हैं। क्योंकि महामारी के समय में अभी स्कूल और कॉलेज खोल भी दिया जाए तो 50 बच्चों को कक्षा में बैठाकर देह से दूरी नहीं बनाई जा सकती है। ऐसे में कक्षा में पढ़ाना तो बहुत बड़ी चुनौती है। ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने के लिए अच्छी और तीव्र गति की कनेक्टिविटी की जरूरत है। ऑनलाइन शिक्षा में बच्चे क्लास को रिकॉर्ड कर सकते हैं, जिससे कक्षा के पश्चात विद्यार्थी रिकॉर्डिंग को पुनः सुन सकते हैं और अगर कहीं शंका होती है तो दूसरी क्लास में अपना प्रश्न उठा सकते हैं। ऑनलाइन के माध्यम से अध्यापक पाठ्यक्रम के अलावा भी कई एक्टिविटीज करवाते हैं, जिससे विद्यार्थियों को हर रोज कुछ नया सीखने को मिलता है।

ऑनलाइन शिक्षा में बेहतरीन टूल्स का इस्तेमाल कर अध्यापक इसे सभी विद्यार्थियों के लिए सरल बनाते हैं ताकि उन्हें सीखने में आसानी हो। अध्यापक विद्यार्थियों के लिए क्यूट क्लास भी रखते हैं ताकि विद्यार्थी के पाठ से जुड़े सभी समस्याओं को सुलझाया जा सके और ऑनलाइन शिक्षा को और सहज बनाया जा सके। विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन शिक्षा के कई ऐसे लोकप्रिय ऐप हैं जैसे- बाईजूस, वेदांती आदि जिस पर सीबीएसई के पाठ्यक्रम की सभी कक्षा की विषय सामग्री मौजूद है। जिससे समय-समय पर विद्यार्थी सहायता ले सकता है। आज मेडिकल इंजीनियरिंग सिविल सेवा परीक्षा की पढ़ाई ऑनलाइन उपलब्ध है। उन सभी विद्यार्थियों को सहायता मिली है जिन्होंने पिछले महीने की परीक्षाएं दी हैं एवं अच्छा प्रदर्शन भी किया है। ऐसी परिस्थिति में ऑनलाइन शिक्षा एक बेहतर विकल्प है। 

आज प्रौद्योगिकी में दुनिया बहुत आगे बढ़ चुकी है। आज सबके पास समय की कमी है क्योंकि लोग अपने कामों में बहुत व्यस्त हैं। ऐसे में लोग अपने आप को सिर्फ ऑनलाइन ही अपडेट रखते हैं। आज लोग अखबार हो या टीवी सब कुछ फोन तक सीमित रखते हैं। ऐसे में हम कह सकते हैं कि ऑनलाइन दी जाने वाली सभी सेवाएं लोकप्रिय हैं। इन्होंने लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया है। ऑनलाइन विकल्प को इसलिए भी अच्छा माना जाता है क्योंकि यह पैसे और समय दोनों को बचाता है और दुनिया के किसी भी कोने से आपको निरंतर जोड़े रखता है। 

इन सभी बातों के साथ-साथ हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि भले ही दुनिया में प्रौद्योगिकी और विज्ञान काफी और आगे बढ़ चुका हो लेकिन आज भी दुनिया दो भागों में बटी हैं। पहला, विकसित देश और दूसरा, विकासशील व गरीब देश। इसलिए हर तरह का वर्ग इस दुनिया में मौजूद है, विकसित लोगों के लिए ऑनलाइन शिक्षा तो सहज सुलभ है, लेकिन गरीब और ग्रामीण इलाकों में रहने वालों के लिए ऑनलाइन शिक्षा वहां के बच्चों की पहुंच से अभी बहुत दूर है। ऐसे बच्चों के पास न तो स्मार्टफोन है और न ही कंप्यूटर की सुविधा। उन इलाकों में अच्छे नेटवर्क कनेक्शन की भी बड़ी समस्या है। ऐसे विद्यार्थियों के लिए स्कूल और कॉलेज ही उनकी पढ़ाई का माध्यम हैं। ऑनलाइन शिक्षा तो इनके लिए एक कड़ी चुनौती है। ऐसे में इन सभी विद्यार्थियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और यह शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। 

हम कह सकते हैं कि महामारी के दौरान ऑनलाइन शिक्षा उन सभी के लिए एक अच्छा माध्यम है जो घर की देखभाल करते हुए अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं। जिसके पास स्मार्टफोन और कनेक्टिविटी की सुविधा है, वह भी ऑनलाइन के माध्यम से नई तकनीक सीख सकता है। लेकिन जो बच्चे ऑनलाइन शिक्षा को पाने में असमर्थ हैं उनके लिए निशुल्क ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था करने की आवश्यकता है, ताकि वह अपने मूल अधिकार से वंचित ना रहे और सरकार का भी दायित्व बनता है कि ऐसी विषम परिस्थिति में जहां सभी शिक्षा केंद्र बंद हैं वहां देश के कोने-कोने तक बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा की सुविधा पहुंचाई जा सके। ऐसा इंतजाम हो ताकि बिना किसी भेदभाव के देश के हर अमीर या गरीब के प्रत्येक बच्चे को शिक्षित बनाया जा सके।

लेकिन केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता और पहल का असर दिख रहा है। सरकार दूरस्थ इलाकों को भी डिजिटल नेटवर्क से जोड़ने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। ग्रामीण इलाकों में भी अब ऑनलाईन पढ़ाई धीरे-धीरे शुरू हो चुकी है। जिसमें गुणात्मक सुधार के संकेत मिल रहे है। गरीब हितैषी राजग सरकार शिक्षा के मोर्चे पर प्रभावी कदम उठा रही है तथा सरकार ने सभी वर्ग के लोगों तक शिक्षा पहुंचाने का आश्वासन दिया है।

लेखिका दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा है।

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