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स्वदेशी जागरण मंच ने क्यों उठाई रॉबोट टैक्स की मांग?

दुनिया लगातार विकास के पंख लगाकर उड़ रही है लेकिन इसके साथ ही मानव जगत के लिए तमाम संकट भी सामने आ रहे हैं। अब अगर रोबोट की बात करें तो दिन पर दिन कंपनियां इसका इस्तेमाल बढ़ाती जा रही हैं, जिससे लोगों की नौकरी पर खतरा मंडराने लगा है।

अमेरिकी बिजनेसमैन और माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स ने सात साल पहले एक बयान में कहा था कि जो रोबोट इंसानों की नौकरियां छीन रहे हैं, उन्हें टैक्स देना चाहिए। सरकारों को रोबोट (ए.आई.-आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सहित आधुनिक तकनीकि) के उपयोग के लिए कंपनियों पर टैक्स लगाना चाहिए, ताकि अन्य तरह के रोजगार के लिए धन जुटाया जा सके। फिलहाल इसको लेकर अब भारत में भी मांग उठने लगी है। स्वदेशी जागरण मंच ने सरकार के सामने मांग रखी है कि जो कंपनियां रोबोट का इस्तेमाल कर रही हैं, उनसे टैक्स वसूला जाए। ताकि एआई के जरिए जिन लोगों की नौकरी खतरे में पड़ रही है, उनको फिर से स्किल सिखाने के लिए आर्थिक मदद मिल सके।

पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट से सम्बंधित चर्चा करने के लिए अर्थशास्त्रियों के साथ परामर्श बैठक की थी। इस मौके पर मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक डॉ. अश्वनी महाजन भी उपस्थित रहे थे और उन्होंने कहा था कि एआई की मानवीय लागत से निपटने के लिए आर्थिक उपायों की आवश्यकता है। हम एआई समेत अत्याधुनिक तकनीक को अपनाने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह एक फैक्ट है कि इससे कर्मचारियों के कुछ वर्गों के बीच रोजगार का नुकसान होगा और ‘रोबोट टैक्स’ का उपयोग एक फंड बनाने के लिए किया जा सकता है जो इन श्रमिकों का कौशल बढ़ाने और नई तकनीकों को अपनाने में मदद करेगा।

संसद के बजट सत्र को ध्यान में रखते हुए स्वदेशी जागरण मंच द्वारा सरकार के सामने कई सुझाव रखे गए हैं जिसमें ‘रोबोट टैक्स’ को भी शामिल करने की मांग की गई है। डॉ. अश्वनी महाजन का कहना है कि जो कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को अपना रही हैं और उसके कारण कर्मचारियों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ रही है, ऐसी कंपनियों से सरकार को रोबोट टैक्स वसूलना चाहिए और नौकरी गंवाने वाले कर्मचारियों को मदद पहुंचाना चाहिए। इसी के साथ ही उन्होने ये भी मुद्दा उठाया कि ज्यादा रोजगार पैदा करने वाले उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

बता दें कि लोगों के जॉब मार्केट से बाहर होने और उनकी जगह रोबोट द्वारा लिए जाने का सवाल चिंता का विषय बनता जा रहा है। मंच ने एआई को लेकर कहा है कि ये अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर रहा है। मालूम हो कि पिछले साल ही पीएम मोदी लोगों को एआई के संबंध में गलत सूचना और फर्जी खबरों के खतरों के बारे में आगाह कर चुके हैं. इससे पहले अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) भी रोबोट टैक्स पर सहमति जता चुका है। आईएमएफ का कहना है कि एआई की वजह से लोगों की नौकरी पर फर्क पड़ेगा। इसके अलावा आईएमएफ ने यह भी तर्क दिया है कि एआई को लेकर सभी अर्थव्यवस्थाओं के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन और मजबूत सामाजिक ताने-बाने की जरूरत होगी।

ज्ञात हो कि राष्ट्रपति मून के नेतृत्व में दक्षिण कोरिया ने 6 अगस्त 2017 को पहला रोबोट टैक्स पारित किया गया था। इसके मुताबिक संस्थाओं पर सीधे टैक्स नहीं लगाया गया बल्कि यह कानून उन टैक्स छूटों को कम करता है जो पहले रोबोटिक्स में निवेश के लिए दी जाती थीं। रोबोट टैक्स पहले मैडी डेलवॉक्स के बिल का हिस्सा था, जो यूरोपीय रोपीय संघ में रोबोट के लिए नैतिक मानकों को लागू करता था. हालांकि, यूरोपीय संसद ने कानून पर मतदान करते समय इस पहलू को खारिज कर दिया था.

रोबोट टैक्स के जरिए ये योजना बनाई जा रही है कि जो कार्य मशीनों द्वारा कराए जा रहे हैं, उसे कम करके श्रमिकों द्वारा कार्य कराया जाए। इसके साथ ही इसका उद्देश्य उन लोगों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करना भी है जो इन एआई या रोबोट की वजह से अपनी नौकरी खो चुके हैं. इसको लेकर लगातार चर्चा जारी है। एक अध्ययन में सामने आया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में 47 प्रतिशत वर्कफोस ऑटोमेटेबल है। तो वहीं एक अन्य अध्ययन में पाया गया है कि 21 ओईसीडी देशों में यह आंकड़ा 9 प्रतिशत है।

हालांकि रोबोट तैनात करने के लिए कंपनियों पर टैक्स लगाने का जो मुद्दा लगातार सामने आ रहा है, उसको लेकर विवाद भी खड़े हो गए हैं। एक वर्ग का कहना है कि अगर इस तरह के उपाय किए जाएंगे तो इससे इनोवेशन हतोत्साहित होगा और आर्थिक विकास में बाधा पहुंचेगी। वहीं तमाम लोग ऐसे हैं जो रोबोट टैक्स लगाने का समर्थन कर रहे हैं। क्योंकि इससे बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है।

स्वदेशी जागरण मंच आर्थिक और नीतिगत मुद्दों पर काम करता है। गौरतलब है कि आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) के सहयोगी संगठन भारतीय किसान संघ (बीकेएस), ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस), लघु उद्योग भारती (जो सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लिए काम करता है), स्वदेशी जागरण मंच ने बजट को लेकर और भी कई मांगें सरकार के सामने रखी हैं। 

चुनावी अभियान के दौरान बेरोजगारी एक प्रमुख मुद्दा रहा। ऐसे में उद्योगों को ज्यादा रोजगार सृजित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सरकार को रोजगार पैदा करने पर ध्यान देना चाहिए। सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं को कंपनी अधिनियम, 2013 की अनुसूची-VII में जोड़कर कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर निधि) के जरिए फंडिंग के लिए पात्र बनाया जाना चाहिए। खाद्य मुद्रास्फीति के संबंध में छोटे किसानों को सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं के लिए सब्सिडी दी जानी चाहिए, जिन्हें वे अपनी जमीन पर शुरू कर सकें और उत्पादकता बढ़ाने में मदद कर सकें।

सभी के लिए आवास विषय पर स्वदेशी जागरण मंच ने सुझाव दिया कि खाली जमीन रखने वालों पर संपत्ति टैक्स लगाया जाना चाहिए, ताकि भविष्य की जरूरतों के बहाने अनावश्यक भूमि रखने वालों की संख्या कम हो।

 

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