swadeshi jagran manch logo

सतत विकास के लिए रचनात्मक और नवाचार

विकासशील भारत/2047 का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए नवाचार और रचनात्मक ही सही दिशा है जहां हमारे युवा जो कि विश्व स्तर पर संख्या में सबसे अधिक हैं वे धरती माता की रक्षा तथा देश के विकास और समृद्धि के लिए इंजन के रूप में कार्य कर सकते हैं। - डॉ. धनपत राम अग्रवाल

 

सितंबर 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने सतत विकास को बढ़ावा देने में रचनात्मक और नवाचार के महत्व को मान्यता देते हुए 17 लक्ष्यां को शामिल करते हुए “हमारे विश्व को बदलनाः सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा“ जारी किया था। एजेंडा में गरीबी दूर करना असमानता को खत्म करना, ग्रहों की रक्षा करने के साथ-साथ भविष्य की पीढ़ियों के लिए खुशहाली तथा समृद्धि सुनिश्चित करने की योजना प्रमुख रूप से शामिल हैं। दरअसल विकसित भारत/2047 के लिए यह एक महत्वपूर्ण लक्ष्य पोस्ट भी है।

मालूम हो कि सृजनात्मक नए विचारों को सृजित करने के लिए कल्पना, सोच और कौशल का उपयोग है, जबकि नवाचार मौजूदा विचारों को बेहतर बनाने या नए उत्पाद विकसित करने के लिए सृजनात्मकता, ज्ञान और कौशल का उपयोग करने की प्रक्रिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने सामाजिक आर्थिक विकास के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वच्छ जल की उपलब्धता और स्वच्छता तथा गरीबी उन्मूलन को प्राथमिकता के आधार पर रेखांकित करते रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कई मौके पर शून्य बेरोजगारी के लिए उद्यमिता और आत्मनिर्भरता की वकालत की है। इन लक्ष्यों को नवाचार और नए विचारों तथा रचनात्मकता के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र की आम सभा ने 21 अप्रैल के दिन को विश्व रचनात्मक और नवाचार दिवस के रूप में मनाए जाने के लिए 27 अप्रैल 2017 को एक संकल्प पत्र पारित किया। वर्ष 2017 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 17 में सत्र में 79वीं पूर्ण बैठक के दौरान इसका निर्णय किया गया। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र में हर साल 26 अप्रैल को विश्व आईपी दिवस भी मनाया जो विश्व बौद्धिक संपदा संगठन के बैनर तले आयोजित किया जाता है। आईपी और इनोवेशन दो अलग-अलग अवधारणाएं हैं हालांकि एक दूसरे के पूरक हैं।आईपी या बौद्धिक संपदा आईपीआर या बौद्धिक संपदा अधिकारों की ओर ले जाती है जो विश्व व्यापार संगठन द्वारा विनियमित बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं ट्रिप्स, पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपी राइट्स आदि के लिए अलग-अलग आईपीआर कानून के तहत संरक्षित है। नवाचार का  अर्थ नए विचारों को उत्पादों में उपयोग करना और रचनात्मक या बौद्धिक संपदा का व्यवसाय कारण करना है।

नवाचार, विपणन, वित उत्पादन यहां तक की शिक्षा, स्वास्थ्य और शासन के किसी भी सामाजिक क्षेत्र में हो सकता है। इस प्रकार नव प्रवर्तन एक बहुत व्यापक शब्द है और इसके पीछे किसी आईपीआर की आवश्यकता नहीं है। ऐसे में आर्थिक विकास के लिए समाज को स्कूलों में युवा दिमाग के विचारों को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और इसके लिए एक अनुकूल वातावरण बनाना चाहिए। साथ ही साथ नए विचारों को धर्म या सामाजिक पूंजी या मानव पूंजी में परिवर्तित करने के लिए इसका पोषण होना चाहिए। आज का समय ज्ञान का समय है। ज्ञान के इस युग में भारत जैसे देश के लिए जहां हमारे पास दुनिया का सबसे समृद्ध मानव संसाधन है। उचित शिक्षा और कौशल विकास के माध्यम से नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देने का जबरदस्त अवसर है। भारत सरकार ने नीति आयोग के तहत अटल इन्नोवेशन मिशन 2016 स्थापित कर इस दिशा में एक प्रमुख पहल की है। अटल इन्नोवेशन मिशन के जरिए सभी जिलों के स्कूलों में अटल तिकरिंग लैब अटल इनक्यूबेटर और अटल कम्युनिटी इन्नोवेशन सेंटर स्थापित किए गए हैं जो की नए स्टार्टअप को सहायता प्रदान करते हैं।

जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग धरती माता के लिए एक बड़ी समस्या है। जी-20 की बैठक के दौरान हमारे प्रधानमंत्री ने एक पृथ्वी एक परिवार और एक भविष्य की बात की और इसे दिल्ली घोषणा पत्र का हिस्सा बनाया गया। ग्रीन हाउस गैस या ब्लैक कार्बन सूर्य की ऊर्जा और प्रकाश को अवशोषित करता है। बादल निर्माण और वर्षा के पैटर्न को प्रभावित करता है, जिससे हिंसक तूफान, बारिश और बाढ़ आती है। ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं और समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है, जिसके चलते तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया है। तटीय क्षेत्र के अनेक बाशिदें पहले से ही जलवायु शरणार्थी बन चुके हैं। जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण कैंसर सहित न्यूरोलॉजिकल सांस और प्रतिरक्षा संबंधी बीमारियों का कारण बन रहा है। विश्व बैंक में अनुमान लगाया है कि वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान की लागत प्रतिवर्ष 8.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो सकती है जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 6.1 प्रतिशत के बराबर है। इसलिए हरित प्रौद्योगिकी को अपनाने की तत्काल आवश्यकता है। आज नवाचार के क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव आया है और डब्ल्यूईपीओ पेटेंट विश्लेषण के अनुसार 15.02 मिलियन से अधिक सक्रिय पेटेंट में से 4.5 7 मिलियन से अधिक पहले से ही एसजी से जुड़े हुए हैं और यह भी बताया गया है की 31.4 प्रतिशत सक्रिय पेटेंट टिकाऊ और सतत विकास के लक्ष्य को संबोधित कर रहे हैं।

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन द्वारा प्रकाशित ग्लोबल इन्नोवेशन इंडेक्स 2023 में भारत का स्थान 132 अर्थव्यवस्थाओं में 40वां है। वर्ष 2015 में भारत 81वें स्थान पर था। अपनी विशाल ज्ञान पूंजी जीवन स्टार्टअप पर स्थित की तंत्र अंतरिक्ष विभाग जैव प्रौद्योगिकी विभाग सहित विभिन्न विभागों की सक्रिय भागीदारी के कारण भारत में ऊंची छलांग अर्जित की है। इस बीच नीति आयोग भी इलेक्ट्रिक वाहनों और हरित ऊर्जा के लिए नीति आधारित नवाचार लाने के लिए अनुकूलन सुनिश्चित करने हेतु अथक प्रयास कर रहा है।

भारत की ओर से यह प्रगति तब है जब भारत अनुसंधान एवं विकास के मोर्चे पर बहुत कम खर्च करता है। अनुसंधान और विकास पर भारत का खर्च दुनिया में सबसे कम है। अनुसंधान और विकास पर भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का 0.7 प्रतिशत से भी कम खर्च करता है जबकि चीन 2.43 प्रतिशत, जापान 3.3 प्रतिशत, जर्मनी 3.4 प्रतिशत और अमेरिका 3.46 प्रतिशत खर्च करता है। यह भी बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अनुसंधान और विकास पर निजी क्षेत्र का खर्च व्यावहारिक रूप से शून्य है और जो भी थोड़ा बहुत खर्च होता भी है तो वह फार्मास्यूटिकल और आईटी क्षेत्र के लिए होता है। भारत में अनुसंधान और विकास पर खर्च का एक बड़ा हिस्सा लगभग दो तिहाई सरकारी विभाग और सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा किया जाता है।

हमें रचनात्मक और नवीनता के बीच अंतर को भी समझना होगा। रचनात्मक नए विचारों को उत्पन्न करने के लिए बुद्धि का कार्य है लेकिन नवाचार इस मूर्त उत्पादों में परिवर्तित करता है। उदाहरण के लिए एक व्यक्ति प्रौद्योगिकी के किसी विशेष क्षेत्र यहां तक कि व्यवसाय में सुधार के लिए अपने विचारों में बहुत रचनात्मक हो सकता है और एक बहुत अच्छा दस्तावेज या शोध पत्र तैयार कर सकता है, लेकिन एक प्रवर्तक एक उद्यमी होता है जो अपने विचार को उत्पादन में परिवर्तित करता है। वह एक नया उत्पाद तैयार कर सकता है चाहे वह नई मशीन हो कि वहां हो या मोबाइल का कोई नया ऐप हो जिसका उपयोग उपभोक्ता द्वारा किया जा सकता है। इसी प्रकार आविष्कार और नव प्रवर्तन में भी अंतर है। अविष्कार आमतौर पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होता है जो सैद्धांतिक रूप से होता है या प्रयोगशाला में भी आजमाया जाता है हालांकि एक नवाचार कई प्रयासों के माध्यम से एक पायलट प्रोजेक्ट या प्रोटोटाइप की तलाश करेगा और अंततः एक दवा या मोटरकार, एक इंजन या एक हवाई जहाज के रूप में एक नया उत्पाद सामने ला सकता है। इसलिए विचारों को विकसित करने के लिए उचित समन्वय और आविष्कार के लिए अनुसंधान सुविधा प्रदान करने इससे संबंधित स्टार्टअप के लिए उचित उद्यम पूंजी निधि के लिए सहयोगी दृष्टिकोण के साथ-साथ एक व्यवहारिक परिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता है जिससे एक उद्यमी वास्तव में कुछ जोखिम उठाकर भी नए उत्पाद बना सके।

हाल के दिनों में निजी उद्योगों द्वारा स्टार्टअप को सहायता प्रदान करने के लिए कुछ अनूठी पहल की जा रही है। ऐसा ही एक स्टार्ट अप इंडिया एक्सलेरेटर है जिसने भारतीय सेवा के अनुभवी लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैत के नेतृत्व मेंसमर्पित टीम की मदद से मानव रहित हवाई प्रणालियों काउंटर ड्रोन और ग्राउंड रोबोटों को रणनीतिक समर्थन प्रदान करने के लिए एक नया वर्टिकल मानव रहित रोबोटिक्स लॉन्च किया है। इसी तरह श्रीधर बंबू की जोहो कारप ने भी वैश्विक स्तर पर चिकित्सा निगरानी और लॉजिस्टिक के लिए ड्रोन समाधान प्रदान करने वाले ड्रोन स्टार्टअप याली एयरोस्पेस में निवेश किया है। 100 से अधिक यूनिकॉर्न और एक लाख से अधिक स्टार्टअप के साथ भारत दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है और यह संख्या आगे और भी तेजी के साथ बढ़ाने की संभावना है।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि विकासशील भारत/2047 का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए नवाचार और रचनात्मक ही सही दिशा है जहां हमारे युवा जो कि विश्व स्तर पर संख्या में सबसे अधिक हैं वे धरती माता की रक्षा तथा देश के विकास और समृद्धि के लिए इंजन के रूप में कार्य कर सकते हैं।        

 

लेखक, निदेशक-स्वदेशी शोध संस्थान एवं राष्ट्रीय सहसंयोजक, स्वदेशी जागरण मंच।
 

Share This

Click to Subscribe