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अर्थव्यवस्था में आगे भी मजबूती के संकेत

सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की नीतियों और उठाए जाने वाले कदमों के कारण आने वाले समय में भी भारतीय बैंक आगे बढ़ेंगे और देश की अर्थव्यवस्था अनुकूल रहेगी। - अनिल तिवारी

 

कोरोना महामारी के कारण अस्त-व्यस्त हुई अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए सरकार ने बैंकिंग तंत्र को मजबूत करने के लिए जिन अनेक योजनाओं और पहलों को मूर्त रूप दिया, उसके सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था आज मजबूत स्थिति में है। राजग की सरकार के केंद्र में आने के बाद यह उम्मीद बढ़ी है कि सरकार अपनी पुरानी नीतियों पर कायम रहेगी, जिससे अर्थव्यवस्था और बैंकों को और भी मजबूती प्राप्त होगी। सरकार के सम्मिलित प्रयासों का ही नतीजा रहा कि वर्ष 2023-24 के दौरान सभी बैंकों के शुद्ध फंसे कर्ज (एनपीए) घटकर 1.70 प्रतिशत के स्तर तक नीचे आ गया है।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र में गठबंधन की सरकार बनने के बाद ढेर सारे आर्थिक विश्लेषको ने राजनीतिक जोड़तोड़ और अस्थिरता को आगे कर विकास की गति धीमा पड़ने की आशंका व्यक्त की है, लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि बैंकों का मुनाफा बढ़ रहा है। विकास कार्य भी प्रगति पर है। निर्मला सीतारमण के हाथों में दोबारा वित्त मंत्रालय का कामकाज मिलने के बाद इस संभावना को बल मिला है कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की नीतियों और उठाए जाने वाले कदम आगामी समय में भी भारतीय बैंकों के अनुकूल रहेंगे।

इधर के दिनों में भारतीय बैंकों का प्रदर्शन एशिया में अपने समकक्ष बैंकों की तुलना में सबसे अच्छा रहा है। देश के तीन बड़े बैंकों भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक ने 2023 में दुनिया के सिर्फ 50 बैंकों की सूची में अपनी जगह बनाई है, जबकि वर्ष 2022 में देश के सिर्फ दो बैंकों ने दुनिया के सिर्फ 50 बैंकों में अपनी जगह बनाई थी। एस. एंड पी. ग्लोबल की एक रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय स्थिति में सुधार, मजबूत आर्थिक स्थिति, कर्ज में तेज वृद्धि, एनपीए में कमी और मुनाफे में वृद्धि से भारतीय बैंक मजबूत हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 में बैंकों की संपत्ति 50.5 प्रतिशत बढ़कर 1.5 1 लाख करोड डालर हो गई है। जुलाई 2022 में एचडीएफसी बैंक की संपत्ति 51.3 प्रतिशत बढ़कर 466.35 अरब डालर हो गई इससे बैंक शीर्ष 50 की सूची में तेरह पायदान ऊपर चढ़कर 33वें स्थान पर पहुंच गया है।

आर्थिकी पर नजर रखने वाली एजेंसी के मुताबिक हाल के महीना में भारतीय बैंकों द्वारा दिए जा रहे कर्ज में तेज वृद्धि हुई है। 29 दिसंबर 2023 तक यह 15.6 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई थी, जो 1 साल पहले 14.9 प्रतिशत ही थी। वित्त वर्ष 2023-24 में बैंक ऑफ़ बड़ौदा और केनरा बैंक में 10000 करोड़ से अधिक मुनाफा कमाया है। भारतीय स्टेट बैंक ने तो इस वर्ष में 61077 करोड रुपए का मुनाफा हासिल किया है जो सरकारी बैंकों की कुल कमाई के 40 प्रतिशत से अधिक है। पिछले वित्त वर्ष में भारतीय स्टेट बैंक में 50232 करोड रुपए का मुनाफा कमाया था। बारह सरकारी बैंकों में से सिर्फ पंजाब एंड सिंध बैंक के मुनाफे में गिरावट दर्ज की गई है। 31 मार्च 2024 को सरकारी बैंकों का संचयी लाभ 1.4 लाख करोड रुपए के स्तर को पार कर गया जो पिछले साल की तुलना में 35 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2022-23 में सरकारी बैंकों ने 104649 करोड रुपए का शुद्ध लाभ वर्जित किया था। इस दौरान पंजाब नेशनल बैंक का शुद्ध मुनाफा 8245 करोड रुपए रहा जो पिछले साल के मुकाबले 228 प्रतिशत अधिक है, जबकि यूनियन बैंक आफ इंडिया ने 13649 करोड रुपए का मुनाफा कमाया था जो पिछले साल की तुलना में 62 प्रतिशत अधिक है। अन्य सरकारी बैंकों जैसे सेंट्रल बैंक आफ इंडिया ने पिछले वित्त वर्ष में 61 प्रतिशत, बैंक आफ इंडिया ने 57 प्रतिशत, बैंक आफ महाराष्ट्र में 56 प्रतिशत और इंडियन बैंक ने 53 प्रतिशत अधिक मुनाफा कमाया। वित्त वर्ष 2018 में सरकारी बैंकों को 50390 करोड रुपए का घाटा होने के बाद यह 2024 में रिकॉर्ड मुनाफा दर्ज करने के सफर की ऐसी कहानी है जो आने वाले दिनों में भारत की अर्थव्यवस्था के और अधिक मजबूत होने का संकेत दे रही है।

ज्ञात हो कि राजग सरकार वित्त वर्ष 2016-17 से वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान सरकारी बैंकों के साथ हर कदम पर कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़ी रही और 310997 करोड रुपए का पुनर्पूंजीकरण भी सरकारी बैंकों का किया गया। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी मामले में इस दौरान सुर में सुर मिलाते हुए आवश्यक कदम उठाए। इन सम्मिलित प्रयासों से वित्त वर्ष 2023 24 में सभी बैंकों का शुद्ध फंसा कर्ज घटकर 1.70 प्रतिशत के स्टार के नीचे आ गया।

अब राजग की केंद्र में फिर से तीसरी बार सरकार बन चुकी है, और वित्त मंत्रालय का कामकाज एक बार फिर निर्मला सीतारमण के हाथों में है। भारतीय जनता पार्टी को आम चुनाव में स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के बाद से ही इस तरह की कयास लगाई जा रही है की सरकार की स्थिरता को लेकर संकट बने रहेंगे। विकास के काम भी प्रभावित हो सकते हैं वहीं आर्थिक गतिविधियों में भी कई तरह की रुकावटें खड़ी हो सकती है। लेकिन सच्चाई यह है कि सरकारी बैंकों के शुद्ध लाभ में निरंतर इजाफा हो रहा है। एनपीए की मात्रा लगातार घट रही है। कई आवश्यक और महत्वपूर्ण मानकों पर भारतीय बैंक अपना उम्दा प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। इन तेज गतिविधियों को देखते हुए अब अधिकांश आर्थिक जानकार भी कहने लगे हैं कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की नीतियों और उठाए जाने वाले कदमों के कारण आने वाले समय में भी भारतीय बैंक आगे बढ़ेंगे और देश की अर्थव्यवस्था अनुकूल रहेगी।     

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