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पानी के लिए पर्याप्त प्रावधान है बजट में

जीवन के लिए जरूरी पानी हेतु मोदी सरकार के बजट में पर्याप्त प्रावधान किये गये हैं। जिन परियोजनाओं का काम अपेक्षा के अनुरूप नहीं है, उनमें तेजी लाने के लिए समानान्तर विभागों को जोड़कर काम में गति लाने का इंतजाम किया गया है। - डॉ. दिनेश प्रसाद मिश्रा

 

भारत जनसंख्या बहुल और कृषि प्रधान देश है। इसलिए आम बजट की दृष्टि से जल संसाधन, पेयजल, ग्रामीण विकास और स्वच्छता ऊर्जा और परिवहन आदि ज्यादा महत्व के हो जाते हैं। जब एक केंद्रीय बजट आता है तब यह न केवल पैसे के आवंटन को सुनिश्चित करता है बल्कि सरकार के विजन और दृष्टिकोण को भी स्पष्ट करता है। वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में  पेयजल और स्वच्छता विभाग को 77390.68 करोड रुपए आवंटित किए गए हैं। यह आंकड़ा वर्ष 2023-24 के बजट में घोषित रकम के मुकाबले महज शून्य दशमलव पांच प्रतिशत अधिक है। दरअसल पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के लिए इस वित्त वर्ष के आवंटन का एक बड़ा हिस्सा जल जीवन मिशन की ओर निर्देशित है जिसे 69926.65 करोड रुपए मिले जो वर्ष 2023-24 में 69846.31 करोड रुपए के संशोधित अनुमान से थोड़ा अधिक है। 

जल जीवन मिशन का लक्ष्य ग्रामीण भारत के सभी घरों मेंव्यक्तिगत घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना है। यह कार्यक्रम अनिवार्य तत्वों के रूप में स्रोत स्थिरता उपायों को भी लागू करेगा जैसे कि ग्रे-वॉटर मैनेजमेंट, जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन के माध्यम से पुनर्भरण और पुन उपयोग। जल जीवन मिशन पानी के लिए सामुदायिक दृष्टिकोण पर आधारित होगा और इसमें मिशन के प्रमुख घटक के रूप में व्यापक सूचना शिक्षा और संचार शामिल होंगे। जल जीवन मिशन पानी के लिए एकजुट आंदोलन बनाने की कोशिश लगातार कर रहा है जिससे कि यह आम नागरिक के लिए प्राथमिकता बन जाए।

जल जीवन मिशन का प्रमुख उद्देश्य 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन देने का है। बजट में इसका प्रमुख रूप से ध्यान रखा गया है इसके साथ-साथ डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय जल एवं स्वच्छता संस्थान को 95 करोड रुपए आवंटित किए गए हैं जो पिछले संशोधित अनुमान में मिले 3 करोड रुपए से अधिक है।

इसी तरह स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण जो खुले में शौच मुक्त ऑडियो की स्थिति को बनाए रखने और ग्रामीण क्षेत्रों में अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ाने पर केंद्रित है के लिए 7192 करोड रुपए आवंटित किए गए हैं। यह आवंटन पिछले वित्तीय वर्ष के बजट के अनुरूप और राष्ट्रव्यापी स्वच्छता प्रयासों को समर्थन देना जारी रखता है। बजट में जलापूर्ति और स्वच्छता के लिए 64302.85 करोड रुपए का महत्वपूर्ण वित्त पोषण भी शामिल है, जो पिछले वर्ष के 64138.41 करोड रुपए से अधिक है।

आर्थिक सेवाओं के लिए बजट में सचिवालय के लिए 35.78 करोड रुपए और सामान्य आर्थिक सेवाओं पर पूंजीगत परिवेश शामिल है। यह संशोधित बजट में 32.5 करोड रुपए से अधिक है जो प्रशासनिक और और संरचनात्मक क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का संकेत देता है। अतिरिक्त आवंटन में पूर्वोत्तर भारत के लिए 7632.19 करोड रुपए शामिल है, जिसका उद्देश्य इन क्षेत्रों में जल और स्वच्छता सुविधाओं में सुधार करना है। राज्य सरकारों को अनुदान सहायता 5169.86 करोड रुपए निर्धारित की गई है, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों को अनुदान 250 करोड रुपए आवंटित किए गए हैं।

सुरक्षित गुणवत्ता वाले पानी की पर्याप्त मात्रा एक मौलिक मानव अधिकार है, लेकिन भारत में अभी भी यह 100 प्रतिशत सुनिश्चित नहीं है। इसे प्राप्त करने, संग्रहित करने, उपयोग करने और प्रबंध करने के लिए सक्रिय प्रयासों की आवश्यकता होती है। जीवन को बनाए रखने, स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और राष्ट्रों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए स्वच्छ जल तक पहुंच आवश्यक है। इसलिए बुनियादी मानवीय आवश्यकता की गारंटी देने अस्थाई जल प्रबंधन प्रथाओं को लागू करने संसाधनों का अनुकूलन करने और इस महत्वपूर्ण संसाधन तक सामान्य आदमी की पहुंच को बढ़ावा देने की दिशा में काम करना सामूहिक जिम्मेदारी है। जिस तरह पानी मानव अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है, इसी तरह यह राष्ट्र की आर्थिक वृद्धि और राष्ट्र के अस्तित्व को आगे बढ़ाने वाली सभी गतिविधियों के लिए आवश्यक है।

भारत में जल उपचार उद्योग पर्याप्त वृद्धि के चरण में है जिसकी चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर 9.10 प्रतिशत है जिसके 2030 तक 5.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 46480 करोड रुपए तक पहुंचाने का अनुमान है। इस वृद्धि का श्रेय विभिन्न सरकारी पहलों को जाता है, जिसमें अटल मिशन फार रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफारमेशन, नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा, जल जीवन मिशन और सामुदायिक पेयजल योजनाएं शामिल है जो सामूहिक रूप से भारतीय जल और अपशिष्ट जल उपचार बाजार के विस्तार में योगदान करती हैं। मौजूदा बजट में विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है और कहा गया है कि भारत की स्वतंत्रता का जब शताब्दी वर्ष होगा यानी 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था प्राप्त करने का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। सरकार ने बजट के जरिए विकसित भारत का एजेंडा सेट किया है।

बजट में जल शक्ति मंत्रालय को पर्याप्त आवंटन किया गया है। देश के कुल 19.26 करोड़ ग्रामीण घरों में से अब तक 14.22 करोड़ घरों को मिशन के तहत नल के पानी का कनेक्शन दिया जा चुका है। जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग को पूर्व के बजट की तुलना में इस बार भी अधिक रकम दी गई है। गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के लिए योजनाओं और परियोजनाओं को लागू करने वाले विभाग के अंतर्गत आने वाली राशि गंगा योजना को दो प्रतिशत अधिक बजट आवंटित किया गया है, वहीं केंद्रीय जल आयोग को 392 करोड रुपए, केंद्रीय जल और विद्युत अनुसंधान स्टेशन को 78 करोड रुपए और केंद्रीय भूजल बोर्ड को 340 करोड रुपए आवंटित किए गए हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को वर्ष 2024-25 के बजट में 11391 करोड आवंटित किए गए हैं जो पिछले साल से 29.7 प्रतिशत अधिक है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नरेंद्र मोदी की अगुवाई में गठित 3.0 नई सरकार का पहला पूर्ण बजट पेश करते हुए कहा कि केंद्र सरकार राज्यों और बहुपक्षीय विकास बैंकों के साथ मिलकर 100 बड़े शहरों में जल आपूर्ति सीवेज शोधन और ठोस कचरा प्रबंधन परियोजनाओं एवं सेवाओं को बढ़ावा देगी। लोकसभा में बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं में सिंचाई के लिए शोधित जल के इस्तेमाल और आसपास के क्षेत्र में तालाबों को भरने की भी परिकल्पना की गई है।

कुल मिलाकर जीवन के लिए जरूरी पानी हेतु मोदी सरकार के बजट में पर्याप्त प्रावधान किये गये हैं। जिन परियोजनाओं का काम अपेक्षा के अनुरूप नहीं है, उनमें तेजी लाने के लिए समानान्तर विभागों को जोड़कर काम में गति लाने का इंतजाम किया गया है। साथ ही पानी पर हो रही वैश्विक बेइमानी को रोकने के लिए भी तंत्र विकसित करने की बात बजट में शामिल है।

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